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बाबरी विध्वंस के 26 वर्ष : अयोध्या में हिंदुओं का शौर्य दिवस तो मुस्लिम पक्ष का यौमे गम

भारतीय जनता पार्टी अयोध्या के कारसेवक भवन में शौर्य दिवस मनाया, वहीं मुस्लिम पक्ष के लोग इस मामले के मुद्दई इकबाल अंसारी के घर काला दिवस मनाएंगे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 06 Dec 2018 01:21 PM (IST)Updated: Thu, 06 Dec 2018 01:21 PM (IST)
बाबरी विध्वंस के 26 वर्ष : अयोध्या में हिंदुओं का शौर्य दिवस तो मुस्लिम पक्ष का यौमे गम
बाबरी विध्वंस के 26 वर्ष : अयोध्या में हिंदुओं का शौर्य दिवस तो मुस्लिम पक्ष का यौमे गम

अयोध्या, जेएनएन। भगवान राम की नगरी अयोध्या में आज बाबरी विध्वंस के 26 वर्ष पूरा होने पर हिंदु व मुस्लिमों के साथ सुरक्षा बल भी अलर्ट पर हैं। हिंदुओं ने जहां हर वर्ष की तरह आज शौर्य दिवस का ऐलान किया है तो मुस्लिम पक्ष ब्लैक डे यानी यौमे गम मना रहा है।

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अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस को आज 26 वर्ष पूरे हो गए हैं। राम मंदिर निर्माण का मुद्दा 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले गर्माया हुआ है। ऐसे में अयोध्या में बाबरी विध्वंस की बरसी पर सुरक्षा बढ़ाई गई है। आज भारतीय जनता पार्टी अयोध्या के कारसेवक भवन में शौर्य दिवस मनाया, वहीं मुस्लिम पक्ष के लोग इस मामले के मुद्दई इकबाल अंसारी के घर काला दिवस मनाएंगे।

अयोध्या में टेढ़ी बाजार पर एसएसपी जोगेंद्र कुमार ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। इसी दौरान बरसी पर बेनीगंज मस्जिद पर मुस्लिम समाज के लोगों ने काला झंडा फहरा कर यौमे गम मनाया।

अयोध्या के अलावा प्रदेश के लगभग हर जिले समेत देश के कई हिस्सों में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) तथा शिवसेना कार्यक्रम करेंगे। 26 वर्ष पहले अयोध्या में छह दिसंबर को बड़ी संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद को गिरा दिया। इसके बाद उग्र भीड़ ने तकरीबन 5 घंटे में ढांचे को तोड़ दिया। इसके बाद देश भर में सांप्रदायिक दंगे हुए और इसमें कई बेगुनाह मारे गए थे।

भगवान राम की नगरी अयोध्या में आज के दिन ही कारसेवकों ने 1992 में महज 17 से 18 मिनट के अंदर ही बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था। अब बाबरी मस्जिद विध्वंस के 26 वर्ष बाद एक बार फिर अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के निर्माण ने जोर पकड़ लिया है। मंदिर निर्माण और बाबरी मस्जिद विध्वंस का मामला राजनीति के केंद्र में है।

भारतीय जनता पार्टी समेत देश की कई राजनीतिक पार्टियां अयोध्या राम मंदिर के निर्माण के लिए हुंकार भर रही हैं। उनके अनुसार अयोध्या में विवादित जमीन पर बगैर किसी देरी के भगवान राम का ही मंदिर बनना चाहिए। राजनीतिक दल ही नहीं मंदिर निर्माण को लेकर भाजपा के सांसद भी बयान दे रहे हैं।

बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले 30 नवंबर 1992 को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या जाने का एलान किया था। इसके बाद ही बाबरी मस्जिद के विध्वंस को लेकर रूपरेखा तैयार होनी शुरू हो गई थी। लालकृष्ण आडवाणी के इस दौरे की जानकारी राज्य और केंद्र सरकार दोनों की थी। पांच दिसंबर की शाम केंद्रीय गृह मंत्री शंकर राव चौहान ने कहा था कि अयोध्या में कुछ नहीं होगा। ऐसा कहा जाता है कि गृह मंत्री को अपनी खुफिया एजेंसियों की तुलना में यूपी के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पर ज्यादा भरोसा था।

पीएम पीवी नरसिम्हा राव को यूपी के सीएम कल्याण सिंह के उस बयान पर ज्यादा भरोसा था जिसमें उन्होंने बाबरी मस्जिद की सुरक्षा की बात कही थी। इस दौरान खुफिया एजेंसियों ने कारसेवकों के बढ़ते गुस्से के बारे में बता चुकी थीं। बता चुकी थी कि किसी भी वक्त कारसेवक बाबरी मस्जिद पर धावा बोल सकते हैं और ढांचे को ध्वस्त कर दिया जा सकता है। इसके बाद भी सावधानी नहीं बरती गई। आखिरकार बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया। इसके कुछ घंटे बाद ही यूपी के सीएम कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया था।

सुप्रीम कोर्ट में है मामला

एक तरफ कई पक्षों की तरफ से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए केन्द्र सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है, तो वहीं अभी रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर जनवरी, 2019 में सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई आस्था के आधार पर नहीं बल्कि जमीन विवाद के हिसाब से हो रही है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ अयोध्या विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और भगवान राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था.बता दें कि राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के दौरान छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था। फैसले में कहा गया था कि विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांटा जाए, जिस जगह रामलला की मूर्ति है उसे रामलला विराजमान को दिया जाए। 


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