होम क्वारंटाइन कर्मी समेत छह नौकरी से बर्खास्त
प्रारंभिक जांच कराना तो दूर परिवहन निगम ने अनसुनी की फरियाद
अयोध्या : परिवहन निगम में चालक-परिचालक पद पर कार्यरत छह कर्मियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। इन सभी पर लॉक डाउन अवधि में सूचना देने के बावजूद ड्यूटी पर अनुपस्थित रहने का आरोप है। इन्हीं में एक कर्मी ऐसा भी है, जिसके गांव में कोरोना संक्रमित मिलने के बाद हॉटस्पाट घोषित कर दिया गया था और वह होम क्वारंटाइन था। 21 दिन की अवधि के बाद जब वह घर से ड्यूटी के लिए डिपो पहुंचा, तो पता चला कि उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। अधिकारियों ने प्रारंभिक जांच कराना तो दूर फरियाद सुनना भी उचित नहीं समझा।
मामला अयोध्या डिपो का है। रामवृक्ष, विदेश कुमार, तपस्यानंद यादव (चालक) और शिवम गुप्त, संजय यादव और दुर्गेश कुमार मिश्र (परिचालक) संविदा कर्मी है। लॉकडाउन के दौरान एक मई से 19 मई तक यह कर्मी अनुपस्थित थे। वरिष्ठ केंद्र प्रभारी (संचालन) गीता सिंह ने फोन पर बातचीत न हो पाने पर इन कर्मियों की रिपोर्ट एआरएम को भेजी कि इन कर्मियों ने अनुबंध में शामिल सेवा शर्तों का उल्लंघन किया और लॉक डाउन अवधि में आपातकालीन संचालन कार्य में उपस्थित न होने के दोषी हैं। एआरएम ने इन सभी को संविदा सूची से पृथक करते हुए जमा प्रतिभूति राशि को जब्त करने का आदेश जारी कर दिया, जबकि होम क्वारंटाइन रहे तपस्यानंद यादव ने निगरानी समिति के सदस्य ग्राम प्रधान और चस्पा होम क्वारंटाइन का प्रमाण अपने पत्र में संलग्न कर रखा है। एआरएम महेश कुमार ने कहा कि मुख्यालय के निर्देश पर सभी की सेवा समाप्त की गई है। नोटिस जारी की गई थी, लेकिन कोई उपस्थित नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि निगम में संविदा कर्मियों की जांच का कोई प्रावधान नहीं है।
रोडवेज इंप्लाइज यूनियन ने दी आंदोलन की चेतावनी
चालक-परिचालकों के संगठन रोडवेज इंप्लाइज यूनियन ने इस कार्रवाई को अवैधानिक करार देते हुए आंदोलन की चेतावनी दे दी है। यूनियन के क्षेत्रीय मंत्री विमलेश अवस्थी का कहना है कि वरिष्ठ केंद्र प्रभारी की भूमिका कर्मचारी विरोधी मानसिकता से प्रेरित और संदिग्ध है, निगम प्रशासन को मामले की जांच करानी चाहिए थी। उन्होंने कहाकि एक पखवारे में सकारात्मक हल नहीं निकला तो आंदोलन तय है।