सेवा और पद समान, नियम अलग-अलग
माह का सेवा विस्तार दिया गया तो शिक्षकों की उम्मींदे न सिर्फ टूट गई बल्कि नये सिरे से आक्रोश व्यक्त करने की सुगबुगाहट भी शुरु हो गई। इसक खबर से शिक्षक समुदाय आहत हैं और सभी पांच साल का सेवा विस्तार किये जाने की मांग कर रहा है। कुलपति प्रो.मनोज दीक्षित के बाहर होने की वजह से उनका पक्ष नहीं लिया जा सका। वहीं कुलसचिव रामचंद्र अवस्थी इस मामले पर सटीक जानकारी नहीं दे सके। नतीजतन इन शिक्षकों में आक्रोश पनप रहा है।
अयोध्या : डॉ.राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में एक ही तरह के कर्मियों व शिक्षकों के लिए अलग-अलग नियम हैं, जिनकी नियुक्ति अभी कुछ महीने पहले हुई है। उन्हें पांच साल के लिए तैनाती मिली, जबकि ऐसे लोग जो वर्षों से सेवा दे रहे हैं, उन्हें मात्र छह माह का विस्तार दिया जा रहा है। इससे 33 शिक्षकों का न सिर्फ टी¨चग करियर बल्कि भविष्य असुरक्षित है। इन शिक्षकों व कर्मियों ने कई बार कुलपति प्रो.मनोज दीक्षित से मिलकर डिमांड की। शासनादेश के हवाला देते हुए सेवा विस्तार पांच वर्ष किए जाने की मांग की है। अबतक न तो इस दिशा में विवि ने कोई पहल की और न ही इन्हें पुख्ता भरोसा ही दिया।
विवि में ढाई दर्जन से अधिक विभाग स्ववित्तपोषित योजना के अंतर्गत संचालित हैं। इसी कड़ी में इंजीनिय¨रग कॉलेज खोला गया। सेल्फफाइनेंस शिक्षकों की नियुक्ति शुरू हुई। इंजीनिय¨रग कॉलेज, पत्रकारिता, एमएसडब्लू, शारीरिक शिक्षा सहित कई विभागों में वर्षों पूर्व संविदा पर शिक्षकों की नियुक्ति हुई। इन शिक्षकों की शुरुआत से लेकर कुछ वर्षों पूर्व तक एक साल के लिए सेवा विस्तार का पत्र दिया जाता रहा। पूर्व कुलपति प्रो.जीसीआर जायसवाल के कार्यकाल में सेवा विस्तार की मियाद कम कर दी। तीन माह किए जाने पर आक्रोशित शिक्षक लामबंद होकर आंदोलित हो गए। मामला राजभवन तक पहुंचा। इसी बीच प्रो.मनोज दीक्षित कुलपति बने तो पांच वर्ष के लिए सेवा विस्तार का भरोसा दिया गया, लेकिन अब पुराने शिक्षकों को छह माह का सेवा विस्तार दिया गया तो शिक्षकों की उम्मीदें टूट गईं। नए सिरे से आक्रोश व्यक्त करने की सुगबुगाहट भी शुरू हो गई। कुलपति प्रो.मनोज दीक्षित के बाहर होने की वजह से उनका पक्ष नहीं लिया जा सका। कुलसचिव रामचंद्र अवस्थी इस मामले पर सटीक जानकारी नहीं दे सके। नतीजतन इन शिक्षकों में आक्रोश पनप रहा है।