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छह दिसंबर 1992: सिर्फ चार घंटे में बदल गया था अयोध्या में मंजर

लालकृष्ण आडवाणी व डॉ. मुरलीमनोहर जोशी समेत 13 पर विवादित ढांचा ध्वंस की साजिश रचने का आपराधिक मामला चलाने की इजाजत देकर छह दिसंबर 1992 की तारीख को नए सिरे से जिंदा कर दिया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 20 Apr 2017 01:48 PM (IST)Updated: Thu, 20 Apr 2017 05:54 PM (IST)
छह दिसंबर 1992: सिर्फ चार घंटे में बदल गया था अयोध्या में मंजर
छह दिसंबर 1992: सिर्फ चार घंटे में बदल गया था अयोध्या में मंजर

अयोध्या (रमाशरण अवस्थी)। देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने कल भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी व डॉ. मुरलीमनोहर जोशी समेत 13 लोगों पर विवादित ढांचा ध्वंस की साजिश रचने का आपराधिक मामला चलाने की इजाजत देकर छह दिसंबर 1992 की तारीख को नए सिरे से जिंदा कर दिया है। देश में 25 वर्ष पुरानी इस घटना के प्रत्यक्षदर्शियों की पांत-पीढ़ी अभी बरकरार है। 

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यह सभी लोग याद दिलाते हैं कि छह दिसंबर को कारसेवा की घोषणा से अयोध्या सुरक्षा बलों की छावनी में तब्दील हो चुकी थी। चप्पे-चप्पे पर विभिन्न अद्र्ध सैनिक बलों की तैनाती कर दी गई थी। संगीनधारी जवानों को देखना रोंगटे खड़े कर देने वाला था। इसके बावजूद कारसेवक रामनगरी में दाखिल होते जा रहे थे।

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छह दिसंबर की पूर्व संध्या से ही लाखों कारसेवकों का नगरी में जमावड़ा हो चुका था। विहिप ने एलान कर रखा था कि प्रतीकात्मक कारसेवा होगी पर पर वहां का माहौल तथा परिदृश्य बयां करने लगा था कि कुछ अनहोनी हो सकती है। रामनगरी दिल थाम कर छह दिसंबर का इंतजार कर रही थी। 

आखिरकार तारीख आ गई। वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कुछ अन्य नेताओं के साथ तत्कालीन सांसद एवं भाजपा के फायरब्रांड नेता विनय कटियार के आवास 'हिंदूधाम' पर सुबह बैठक की। इसके बाद वह विवादित ढांचा की ओर रवाना हुए। रास्ता उत्तेजित कारसेवकों से पटा पड़ा था।

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अपने नेतृत्व को सामने पाकर वह सभी खुद-ब-खुद उन्हें रास्ता देने लगे। आडवाणी, जोशी, कटियार सहित कुछ अन्य शीर्ष नेता पहले विवादित ढांचे के ही करीब बनी पूजा की वेदी पर पहुंचे, जहां प्रतीकात्मक कारसेवा होनी थी। इसके बाद करीब 20 मिनट तक आडवाणी, जोशी और कुछ अन्य शीर्ष नेताओं ने कारसेवा की तैयारियों का जायजा लेने के बाद ढांचे से करीब दो सौ मीटर दूर रामकथाकुंज के मंच की ओर रुख किया। 

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इस मंच पर पहले से ही अशोक सिंहल, विजयराजे सिंधिया, उमा भारती, साध्वी ऋंतभरा, आचार्य धर्मेंद्र विराजमान थे। आडवाणी, जोशी के पहुंचते ही मंच की रौनक और बढ़ गई। प्रतीकात्मक कारसेवा का समय दोपहर ठीक 12 बजे निर्धारित था। इससे पूर्व मंच से भाषण दे राम मंदिर के आग्रह का औचित्य बताया जा रहा था।  अभी 11 ही बजे थे कि कारसेवकों की भीड़ में सरगर्मी हुई और एक कारसेवक सुरक्षा घेरा तोड़कर उछलता हुआ ढांचे के गुंबद पर जा चढ़ा। कुछ कारसेवक उसका अनुसरण करते हुए आगे बढ़े।

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करीब एक घंटे बाद स्थिति पुन: अनियंत्रित हुई और गगनचुंबी नारे लगाता कारसेवकों का बड़ा जत्था ढांचे की दीवार पर चढऩे लगा। विवादित इमारत के बाड़े में लगे गेट का ताला भी तोड़ दिया गया।  छिट-पुट प्रतिरोध के बाद सुरक्षा घेरा बनाए पुलिस एवं अद्र्धसैनिक बलों के जवान हथियार डाल चुके थे। करीब 10 मिनट की धींगा-मुश्ती के बाद कारसेवकों ने कुदाल-गैंती से ढांचे का ध्वंस शुरू कर दिया। करीब चार घंटा तक चले अभियान के बाद तीनों गुंबद धराशायी हो गए थे।


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