मंगलवार को दिग्गज पूर्वाचार्यो की स्मृति में लीन रही रामनगरी
पाठ की पूर्णाहुति के साथ भजन की छटा बिखरी। साथ ही आचार्य पूजन-अभिषेक का दौर चलता रहा। यह सिलसिला
अयोध्या : रामनगरी मंगलवार को दिग्गज पूर्वाचार्यों की स्मृति में लीन रही। रसिक उपासना परंपरा की शीर्ष पीठ लक्ष्मणकिला संस्थापक आचार्य स्वामी युगलानन्यशरण की 141वीं पुण्य-स्मृति में गत सप्ताह से ही उन्मीलित थी।
मंगलवार को प्रात: आचार्य प्रणीत रसिकोपासना के प्रतिनिधि ग्रंथों के पाठ की पूर्णाहुति के साथ भजन की छटा बिखरी। आचार्य पूजन-अभिषेक का दौर चलता रहा। यह सिलसिला थमा। तब तक सैकड़ों की संख्या में संत-महंत यशस्वी आचार्य को श्रद्धांजलि देने पहुंच चुके थे। स्मृति-पर्व का समापन वृहद भंडारा से हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। स्वामी युगलानन्यशरण की शिष्य परंपरा के प्रतिनिधि और उनकी पीठ लक्ष्मणकिला के वर्तमान महंत मैथिलीरमणशरण एवं उनके सहयोगी आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण ने आगंतुकों के प्रति आभार ज्ञापित किया।
कहा कि आचार्य स्मृति-पर्व में वे संतों एवं श्रद्धालुओं की पूरी की पूरी पांत-पीढ़ी पाकर स्वयं को धन्य महसूस कर रहे हैं। श्रद्धांजलि देने वालों में रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास, जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य, जानकीघाट बड़ास्थान के महंत जन्मेजयशरण, रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास, नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास, बड़ा भक्तमाल के महंत अवधेशदास, बिदुगाद्याचार्य के कृपापात्र संत रामभूषदास कृपालु, महाविरक्त आश्रम के महंत माधवदास, जगद्गुरु रामानुजाचार्य आचार्य रत्नेश, हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत अवधेशदास एवं महंत रामकुमारदास, नागा रामलखनदास, समाजसेवी राजूदास, भाजपा की प्रदेशीय समिति के सदस्य अभिषेक मिश्र, महानगर उपाध्यक्ष शैलेंद्रमोहन मिश्र, पूर्व नगर अध्यक्ष एवं प्राचार्य डॉ. राकेशमणि त्रिपाठी, पार्षद रमेशदास एवं अनुजदास, भाजपा के मंडल अध्यक्ष बालकृष्ण वैश्य आदि प्रमुख रहे।
कुछ ऐसा ही नजारा खालसा संतों की प्रधान पीठ खाक चौक में भी देखने को मिला, जहां न केवल रामनगरी के बल्कि दूर-दराज तक के संत-श्रद्धालु बाबा अर्जुनदास को 59वीं पुण्यतिथि पर देने के लिए एकत्र हुए थे। खाक चौक के प्रमुख श्रीमहंत बृजमोहनदास के संयोजन में आचार्य स्मृति-पर्व गत सप्ताह से ही संचालित है। मंगलवार को इसका शिखर बयां हुआ, जब आचार्य को नमन करने के लिए संतों-श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। इनमें बाबा अर्जुनदास के शिष्य प्रख्यात संत बर्फानी बाबा, महंत प्रेमदास, महंत रामेश्वरदास, महंत गोविददास आदि सहित महंत नृत्यगोपालदास एवं रामनगरी के तकरीबन सभी दिग्गज संत शामिल रहे। कार्यक्रम संयोजन में महंत परशुरामदास, करतलिया भजनाश्रम के महंत रामदास त्यागी आदि सहयोगी रहे। महंत बृजमोहनदास ने आचार्य स्मृति में साथ देने के लिए संतों एवं श्रद्धालुओं के प्रति आभार ज्ञापित किया। -------------इनसेट------- महापौर एवं विधायक ने किया नमन
- महापौर ऋषिकेश उपाध्याय एवं विधायक वेदप्रकाश गुप्त ने पूर्वाचार्यों को नमन किया। कहा, ऐसे ही आचार्यों से रामनगरी की आध्यात्मिक विरासत युगों से प्रवाहमान है। हमें उसे संक्षिप्त रखना होगा। ------------------------ किसी किवदंती से कम नहीं बर्फानी बाबा
बाबा अर्जुनदास को नमन करने अमरकंटक से आए बर्फानी बाबा स्वयं में किसी किवदंती से कम नहीं हैं। उनकी गणना देश के चुनिदा यशस्वी संतों में होती है। वे एक युग के परिचायक माने जाते हैं। जिन बाबा अर्जुनदास की मंगलवार को 59वीं पुण्यतिथि मनाई गई और जिन्होंने सौ से अधिक वर्ष की उम्र में अंतिम श्वांस ली, बर्फानी बाबा उनके एकमात्र जीवित शिष्य हैं और उनकी उम्र सौ वर्ष से कहीं अधिक की मानी जाती है। खाकचौक के वर्तमान महंत बृजमोहनदास उनकी महिमा की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए बताते हैं। मेरी उम्र 70 के पार है और बर्फानी बाबा हमारे पर गुरु की पीढ़ी के हैं। बाबा हिमालय में तपस्या के साथ कायाकल्पी माने जाते हैं। बाबा के मुरीदों की संख्या में लाखों में है। इनमें रंक से लेकर राजा तक शामिल हैं।