योग के क्षितिज पर रामनगरी का है ऊंचा मुकाम
धर्म-अध्यात्म के साथ रामनगरी योग की भी विभूतियों से गौरवांवित. डॉ. चैतन्य केके सिंह रणविजय योगी आदि रामनगरी में बढ़ा रहे योग-ध्यान की परंपरा.
अयोध्या: धर्म-अध्यात्म के साथ रामनगरी योग की भी विभूतियों से गौरवांवित है। योग के प्रतिनिधि सनातन ग्रंथ के रूप में प्रतिष्ठित योगवासिष्ठ की रचनाभूमि रामनगरी ही रही है। इसमें गुरु वशिष्ठ एवं भगवान राम के मध्य संवाद के माध्यम से बौद्धिक, दार्शनिक एवं सैद्धांतिक विवेचन है। इसके साथ ही अयोध्या से चंद फासले पर गोंडा जिले में जहां योग के अधिष्ठाता महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि है तो दूसरी ओर गुप्तारघाट पर मशहूर योग गुरु धीरेंद्र ब्रह्मचारी का भी कुछ समय तक वास रहा था। उनके गुरु महर्षि कार्तिकेय ने गुप्तारघाट स्थित सरयू तट पर महासमाधि में प्रवेश किया था। रामनगरी में अब डॉ. चैतन्य, केके सिंह, रणविजय योगी जैसे योगाचार्य हैं, जो योग-ध्यान की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
डॉ. चैतन्य वर्ष 1989 में अयोध्या आए और पूर्व सांसद डॉ. विश्वनाथ दास शास्त्री के आश्रम दर्शन भवन में उन्होंने लोगों को योग सिखाना शुरू किया। उनकी कक्षा में पहले दिन सिर्फ तीन विद्यार्थी थे और अब उनका कारवां एक कक्षा में दो सौ विद्यार्थियों तक पहुंच चुका है। अपने तीस वर्ष के सफर में वे करीब 25 हजार लोगों को योग में पारंगत कर चुके हैं। खास बात यह है कि वे योग के साथ ही रोजगार की भी दीक्षा दे रहे हैं। उनके करीब दर्जन भर शिष्य योग शिक्षक के रूप में प्रतिष्ठित हैं और लोगों को निरोगी बना अपना जीवकोपार्जन कर रहे हैं। डॉ. चैतन्य को उनके खराब स्वास्थ्य ने योग की विधा से जोड़ दिया। बचपन में उनका स्वास्थ्य खराब रहता था, जब काफी इलाज के बाद भी उनका स्वास्थ्य बेहतर नहीं हुआ तो वे प्रयाग में हंडिया बाबा के योग संस्थान में योग आसन व प्राणायाम के शिविर में शामिल हुए। जिदगी दोबारा पटरी पर लौट आई। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद विवि से दर्शन शास्त्र में एमए किया। वर्ष 1971 में उनकी मुलाकात जनार्दन स्वामी से हुई। डॉ. चैतन्य ने उन्हीं से योग की बारीकियां सीखीं। योग में प्रवीण होने के बाद वे अयोध्या आए। पहले दर्शन भवन और फिर श्याम साधनालय में योग सिखाना आरंभ किया। वर्ष 2004 में उन्होंने फैजाबाद नगर में योग की कक्षाओं का संचालन शुरू किया और वर्ष 2013 में अयोध्या में विवेक सृष्टि की स्थापना की। अब तक 17 हजार पुरुष और आठ हजार महिलाओं को योग सिखा चुके हैं। इनमें से कई खुद भी योगाचार्य के रूप में स्थापित हैं। इनमें संतोष तिवारी, कृष्णकुमार मिश्र, ज्ञानेंद्र श्रीवास्तव, ममता श्रीवास्तव, सीमा तिवारी, रीता मिश्रा आदि हैं। डॉ. चैतन्य के साथ ही पंतजलि योग समिति के जिला प्रभारी रणविजय योगी ग्रामीण क्षेत्रों में योग की अलख जगाए हुए हैं।