महामारी में रामनगरी ने दिया मुस्कुराने और अनुशासित रह जीने का मंत्र
दीपोत्सव के आयोजन में भी दिखेगा अनुशासन
अयोध्या: एक ओर जब कोरोना काल में देश थम सा गया था तो रामनगरी ने न सिर्फ लोगों को मुस्कुराने और अनुशासित रहते हुए जीने का मंत्र दिया, बल्कि पूरी दुनिया में नई मिसाल बनकर खड़ी हुई। इस मंत्र की सिद्धि पहले पांच अगस्त को रामजन्मभूमि पर हुए मंदिर निर्माण के भूमिपूजन और फिर विवादित ढांचे के ध्वंस के फैसले से भी होती है। ..तो अब दीपोत्सव के अनुशासित ढंग से आयोजन की तैयारी भी दुनिया भर को संदेश दे रही है कि संकटकाल में भी किस प्रकार से खुशी हासिल की जा सकती है।
कोरोना काल में सबसे बड़े और इतिहास के सबसे स्वर्णिम आयोजन की गवाह पांच अगस्त की तारीख बनी। इस दिन विरासत के कैनवस पर सबसे सुंदर तस्वीर उभरी। यह नए युग के सूत्रपात का और पांच सदी की कामना की पूर्ति का दिन था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला को भव्य भवन में विराजमान करने के लिए रामजन्मभूमि पर भूमि पूजन किया। हालांकि, इस आयोजन में आम लोगों की भागीदारी नहीं हो सकी, लेकिन टीवी के सामने दुनिया भर के लोगों ने परमानंद का अनुभव किया। टीवी ने इस मौके पर न केवल प्रधानमंत्री की रामलला के प्रति आस्था को परिभाषित किया, बल्कि देखने वालों की भी आंखें आनंद और अनुभूति से सजल हो उठी थीं। बार एसोसिएशन के मंत्री धनुषजी श्रीवास्तव कहते हैं कि परिस्थिति कितनी भी कठिन हो पर उससे कैसे उबरा जाए यह अयोध्या सिखाती है। त्रेता में अयोध्या ने देश-दुनिया को आदर्श राज्य और राजा का मंत्र दिया तो कोरोना जैसी महामारी में अनुशासन के साथ आयोजन की दीक्षा।
-----------
दीपोत्सव में रिकार्ड बनाने की तैयारी
महामारी में उत्सव कैसे हों, इसकी नजीर 13 नवंबर बनेगी। दीपोत्सव के चतुर्थ संस्करण को भी इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है। रामकी पैड़ी के 24 घाटों को जहां पांच लाख 51 हजार दीपों से रोशन करने की योजना बनाई गई तो इस दौरान शारीरिक दूरी के पालन के लिहाज से भी कदम उठाया गया है। पिछले दो दीपोत्सव भी गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हो चुके हैं। इस बार भी गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड की टीम दीपोत्सव के दौरान मौजूद रहेगी। शुक्रवार को जब साकेत महाविद्यालय से रामकथा पार्क तक 11 झांकियां निकलेंगी तो भी अनुशासन की झलक दिखेगी।
-----------
दो प्रमुख त्योहारों में दिखा अनुशासन
कोरोना काल में दो प्रमुख त्योहार भी हुए। इसमें पहला रामनवमी और दूसरा सावन का माह था। दोनों त्योहारों में रामनगरी का वैभव शिखर पर रहता था, लेकिन महामारी में रामनगरीवासियों ने न केवल संयम बरता, बल्कि यह देश भर को मंत्र भी दिया कि त्योहारों को आत्मानुभूति के साथ कैसे मनाया जाए। झूलनोत्सव की परंपरा भी प्रतीकात्मक ढंग से आयोजित की गई और रामनवमी भी लॉकडाउन बीच मनाई गई।
-----------
सुकून से बीती थी 30 सितंबर
विवादित ढांचा ढहाये जाने पर फैसले का दिन रामनगरी में उत्सुकता के बीच पर सुकून से बीता था। बीती 30 सितंबर को जब विवादित ढांचा ढहाए जाने का फैसला आया तो रामनगरी ने उसका भी सधे कदमों से स्वागत किया। संतों के साथ ही आंदोलन से जुड़े लोगों ने फैसले का स्वागत तो किया, लेकिन अनुशासन और संयम के साथ।