अयोध्या में भव्य मंदिर से पूर्व एक लाख घरों में स्थापित होंगे रामलला Ayodhya News
रामजन्मभूमि पर बनने वाले भव्य मंदिर में विराजमान होने वाली मूर्ति की कल्पना पर हुआ है इन मूर्तियों का निर्माण। गणपति भवन और दिल्ली के अग्रोहा भवन में शुरू हुआ वितरण।
अयोध्या [रमाशरण अवस्थी]। रामलला अपनी जन्मभूमि पर भव्य मंदिर में विराजें, इससे पूर्व रामलला की मूर्ति एक लाख घरों तक पहुंचाने की योजना है। यह मुहिम रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण परिवार की है। मंदिर निर्माण परिवार की ओर से 10 हजार मूर्तियां निर्मित भी करा ली गई हैं और उन्हें वितरण के लिए गत सप्ताह ही नाका स्थित गणपति गेस्ट हाउस एवं दिल्ली के अग्रोहा भवन तक पहुंचा भी दिया गया है। हालांकि, ये मूर्तियां आस्था और कला की दृष्टि से कहीं अधिक कीमती हैं पर न्योछावर के रूप में प्रति मूर्ति दो हजार रुपये शुल्क निर्धारित किया गया गया है।
सफेद संगमरमर पर तराशी गई बाल रूप राम की यह मूर्ति लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी है। रामलला की यह मूर्ति कमल पुष्प पर विराजमान है। नयनाभिराम और जीवंत मूर्ति को कमलासन का अग्रभाग, धनुष-बाण का शिरा, शिखा और वस्त्र पर सोने के काम से भव्यता प्रदान की गई है। मंदिर निर्माण परिवार से जुड़े नरेश कुमार गुप्त के अनुसार इस मूर्ति की कल्पना कुछ उसी तरह की है, रामलला की जैसी मूर्ति अयोध्या में बनने वाले भव्य मंदिर में स्थापित होगी। उन्होंने बताया कि मूर्ति यह सुनिश्चित करने के साथ दी जा रही है कि वह घर के ड्राइंग रूम की शोपीस न बने बल्कि घरों के पूजागृह की शान बढ़ाए।
हालांकि, मूर्ति वितरण की शुरुआती गति धीमी है। जयपुर में निर्मित मूर्तियों की पहली खेप आए चार दिन बीत चुके हैं। इस अभियान के मार्गदर्शकों में शुमार समाजसेवी भागीरथ पचेरीवाला के अनुसार जल्दी ही समारोह पूर्वक मूर्ति वितरण कार्यक्रम का आरंभ किया जाएगा। ताकि मूर्ति वितरण में समुचित तेजी आ सके और हम मंदिर निर्माण शुरू होने तक एक लाख प्रतिमा वितरण का लक्ष्य हासिल कर सकें।
मंदिर निर्माण परिवार के साथ विहिप का आशीर्वाद
सुप्रीम फैसला आने से कुछ पूर्व ही रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण परिवार का जिक्र गूंजा। नरेश गुप्त के अनुसार चंपत राय एवं राजेंद्र सिंह पंकज जैसे शीर्ष नेताओं के आशीर्वाद से मंदिर निर्माण परिवार का गठन किया गया। भागीरथ पचेरीवाला स्पष्ट करते हैं कि इस परिवार का उद्देश्य मंदिर निर्माण के पक्ष में वातावरण तैयार करना है और निर्णय आने के बाद मंदिर निर्माण में हरसंभव सहयोग के साथ देश का परिवेश राममय बनाना है।