नियमित सुनवाई को लेकर बेकरार रामनगरी
अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद लंबे समय से प्रतीक्षित है। इस विवाद को लेकर लंबा आंदोलन भी चल चुका है पर परिणाम नहीं निकला। अब दोनों पक्षों की उम्मीद अदालत पर टिकती जा रही है। हालांकि अदालत में यह मामला छह दशक से लंबित है पर सुप्रीमकोर्ट के ताजा रुख से संबंधित पक्षों में मसले के समाधान को लेकर उम्मीद की नई किरण फूट रही है।
अयोध्या : रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद लंबे समय से प्रतीक्षित है। इस विवाद को लेकर लंबा आंदोलन भी चल चुका है पर परिणाम नहीं निकला। अब दोनों पक्षों की उम्मीद अदालत पर टिकती जा रही है। हालांकि अदालत में यह मामला छह दशक से लंबित है पर सुप्रीमकोर्ट के ताजा रुख से संबंधित पक्षों में मसले के समाधान को लेकर उम्मीद की नई किरण फूट रही है।
शुक्रवार से सुप्रीम कोर्ट ने मामले की नियमित सुनवाई का आश्वासन दे रखा है। अदालत में राममंदिर के पक्षकार एवं निर्वाणीअनी अखाड़ा के महंत धर्मदास मामले की सुनवाई को लेकर दिल्ली में ही डटे हुए हैं। उन्होंने जागरण को दूरभाष पर बताया कि मसले का हल आपसी बातचीत से निकलना भी बेहतर विकल्प था पर यह कोशिश ठोस धरातल पर पहुंचती नहीं दिख रही है। ऐसे में न्यायालय को ही जिम्मेदारी का परिचय देना होगा। महंत धर्मदास को विश्वास है कि नियमित सुनवाई यदि संभव हुई तो मामले के निस्तारण के लिए अधिक प्रतीक्षा नहीं करनी होगी। बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी भी नियमित सुनवाई को लेकर उत्साहित हैं और दोहराते हैं कि अदालत का जो भी निर्णय होगा, हमें मान्य होगा। इससे जम्हूरियत और अदालत के प्रति भरोसा मजबूत होगा।
अदालत में दशकों तक राममंदिर की पैरोकारी करते रहे नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास के मंदिर-मस्जिद विवाद के चलते तनाव-तकरार और हिसा का जिक्र करते हैं और कहते हैं, अदालत के फैसले से इस विवाद के चलते देश ने जो जख्म सहे, उस पर मरहम लगेगा।