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Ayodhya Ram Mandir Bhumi Pujan : राम तो रोम-रोम में, यह रोमांच प्रधानमंत्री-रामलला संयोग का...

Ayodhya Ram Mandir Bhumi Pujan श्रीराम को केंद्र में रखते हुए अयोध्या ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विकास यात्रा देखी है। अब तो सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आ रहे हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 05:15 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 12:48 AM (IST)
Ayodhya Ram Mandir Bhumi Pujan : राम तो रोम-रोम में, यह रोमांच प्रधानमंत्री-रामलला संयोग का...
Ayodhya Ram Mandir Bhumi Pujan : राम तो रोम-रोम में, यह रोमांच प्रधानमंत्री-रामलला संयोग का...

अयोध्या [हरिशंकर मिश्र]। यह नई अयोध्या है, दशकों की उदासीनता को पीछे छोड़ती हुई और आगे बढ़ने को आतुर। खतरे के निशान को पार कर चुकी सरयू की उफान मारती लहरें जैसे बताना चाहती हैं कि तिरपाल के वनवास के बाद अपने आराध्य की अगवानी के लिए यह शहर कितना उत्साहित है। हनुमान गढ़ी की ऊपर जाती सीढ़ियों का रंग एक दिन पहले ही गेरुआ हुआ है तो कार्यशाला की ओर जा रही सड़कों के दोनों ओर लगातार दीवारों पर देवताओं के चित्र बनाए जा रहे हैं। राम तो अयोध्या के रोम-रोम में बसे हैं ही, यह तैयारियां किसी प्रधानमंत्री के पहली बार रामलला के दरबार में आगमन का रोमांच भी दर्शा देती हैं। प्रख्यात शास्त्रज्ञ डॉ. रामानंद शुक्ल एक ही वाक्य में मानों सब कुछ कह जाते हैं-'अयोध्या पांच अगस्त के निहितार्थ जानती है।'

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यह अयोध्या चेतन है। घटनाओं को महज संयोग नहीं मानती, उसके अर्थ को भी महसूसती है और यही वजह है कि अब यहां प्राणवायु का संचार है। श्रीराम को केंद्र में रखते हुए उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विकास यात्रा देखी है। अब तो सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आ रहे हैं। तय है कि इतिहास सिर्फ रामलला की पुन: प्रतिष्ठा का ही नहीं बनेगा, प्रदेश की विकास यात्रा में अयोध्या के नेतृत्व का भी बनेगा। कार्यशाला में भगवान श्रीराम का बड़ा कटाउट शिलाओं के पास रखते हुए युवा अजीत कनौजिया उम्मीदों को छिपाने की कोशिश भी नहीं करते-'हम धार्मिक पर्यटन का सबसे बड़ा केंद्र होंगे। बस इसी के साथ श्रीराम वन गमन मार्ग भी तैयार हो जाए।'

समाचारों की दुनिया में अयोध्या का कोलाहल गोंडा के विक्रमादित्य गोस्वामी और अरविंद कुमार गिरि को यहां खींच लाया है। राम की पैड़ी देख वे हतप्रभ हैं। कितना कुछ बदल गया। बोलते हैं- 'कभी सोचा ही न था कि फोरलेन सड़क से अयोध्या में घुसूंगा। विकास का यह संदेश तो अयोध्या को पहले दिव्य दीपोत्सव से ही मिल गया था लेकिन, तब लोगों की प्राथमिकता श्रीराम जन्मभूमि पर प्रभु का मंदिर ही थी। अब शुभ घड़ी निकट है तो स्थानीय लोग इसे विकास से जोड़ते जरूर हैं, लेकिन बाहर से आने वालों को सिर्फ प्रभु श्रीराम से ही मतलब है। सरयू किनारे एक होर्डिंग पर राम मंदिर का मॉडल निहारते राम दिगंबर अखाड़ा, भोपाल के महावीरदास कहते हैं, इस सदी के लोगों का जीवन सार्थक हो गया।

जन्मभूमि स्थल से थोड़ा पहले ही श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का कार्यालय है। रास्ता प्रतिबंधित होने की वजह से यहां बिल्कुल भीड़भाड़ नहीं है। लेकिन, भीतर घुसते ही रामभक्तों की भावनाओं से सीधा साक्षात्कार होता है। व्यवस्था संभालने वाले प्रकाश गुप्ता दानदाताओं को आभार पत्र भेजने में जुटे हैं। यह पत्र ट्रस्ट के सचिव चंपत राय की ओर से है। प्रकाश बताते हैं-'दुनिया के कोने-कोने से लोग रुपये भेज रहे हैं। कुछ गुमनाम ही रहना चाहते हैं। जल और मिट्टी तो इतनी जगह से आ रही है कि बताया नहीं जा सकता।' व्यस्तता के सवाल पर कहते हैं-'रामकाज कीन्हें बिना मोहि कहां विश्राम।' उनकी इन भावनाओं को हनुमानगढ़ी में दस महीने से ड्यूटी कर रहे पीएसी के दारोगा जीपी यादव और विस्तार देते हैं-'कुछ तो पुण्य किया ही होगा, जो इस समय यहां ड्यूटी मिली।'


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