Move to Jagran APP

गुरु परंपरा के देदीप्यमान नक्षत्रों से रोशन है रामनगरी

अयोध्या में शताब्दियों से प्रवाहमान है आचार्यों से जुड़ी सिद्धि-साधना एवं सेवा की विरासत

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 01:18 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 06:06 AM (IST)
गुरु परंपरा के देदीप्यमान नक्षत्रों से रोशन है रामनगरी
गुरु परंपरा के देदीप्यमान नक्षत्रों से रोशन है रामनगरी

अयोध्या : गुरुपूर्णिमा मंगलवार को है। उन आचार्यों की स्मृति फलक पर है, जिनकी चमक से रामनगरी का आध्यात्मिक जगत आलोकित है। स्वामी रामप्रसादाचार्य को हुए तीन शताब्दियां गुजर चुकी हैं पर उनकी साधना परंपरा दशरथमहल बड़ास्थान के रूप में पूरे यौवन पर है। मान्यता है कि रामप्रसादाचार्य की उपासना से प्रसन्न हो मां जानकी की उन्हें प्रत्यक्ष अनुभूति हुई थी। उनके शिष्यों की संख्या लाखों में थी, तो उनके कई विरक्त शिष्य भक्ति उपासना के यशस्वी आचार्य के तौर पर प्रतिष्ठापित हुए। आज जिस मणिरामदास जी की छावनी की गणना रामनगरी की शीर्षस्थ पीठ के रूप में होती है, उसके संस्थापक और आला आध्यात्मिक पहुंच वाले मणिरामदास भी रामप्रसादाचार्य के प्रशिष्य थे। दशरथमहल के वर्तमान महंत बिदुगाद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य ने डेढ़ दशक पूर्व आश्रम परिसर में स्वामी रामप्रसादाचार्य की प्रतिमा स्थापित कर महान विरासत को नए सिरे से सहेजा। अगणित गृहस्थ-विरक्त शिष्यों के माध्यम से वैष्णवता की अलख जगाने वाले स्वामी रामवल्लभाशरण भी रामनगरी के दिशावाहक आचार्यों में थे। करीब एक शताब्दी पूर्व हुए रामवल्लभाशरण के बारे में कहा जाता है कि उन्हें वाक् सिद्धि थी। नगरी की शीर्ष पीठों में शुमार रामवल्लभाकुंज उनके आध्यात्मिक प्रताप का परिचायक है। उनके शिष्य एवं उत्तराधिकारी रामपदारथदास वेदांती भी अपनी साधना एवं पांडित्य के लिए अविस्मरणीय हैं। रामवल्लभाशरण की शिष्य परंपरा के वर्तमान प्रतिनिधि संत राजकुमारदास के अनुसार उनसे यह सच्चाई परिभाषित होती है कि नाम जप किस ऊंचाई तक पहुंचा सकती है। तिवारी मंदिर के संस्थापक पं. उमापति त्रिपाठी (जन्म 1793- साकेतवास 1873) भी प्रखर पांडित्य और आराध्य से गहन तादात्म्य के चलते रामनगरी में अपने युग के गुरु वशिष्ठ माने जाते थे। तिवारी मंदिर के वर्तमान महंत एवं पं. उमापति के वंशज महंत गिरीशपति त्रिपाठी के संयोजन में उनकी विरासत लाखों शिष्यों के माध्यम से प्रवाहमान है। इसी दौर के एक अन्य पहुंचे आचार्य एवं लक्ष्मणकिला के संस्थापक स्वामी युगलानन्यशरण की भी रसिक उपासना धारा शताब्दियों बाद भी पूरे वैभव से विद्यमान है। रामानुजीय परंपरा की शीर्ष पीठ अशर्फीभवन के संस्थापक स्वामी मधुसूदनाचार्य उपासना की समृद्ध धारा के प्रणेता के साथ आराध्य से जीवंत सरोकार के लिए भी जाने जाते हैं। मान्यता है कि अर्थाभाव के बीच उन्हें मंदिर निर्माण के लिए प्रभु कृपा से नींव की खुदाई के दौरान अशर्फियां मिलीं। उनके प्रशिष्य एवं अशर्फीभवन के वर्तमान पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी श्रीधराचार्य के अनुसार हमें महान विरासत आगे बढ़ाने में इसके प्रणेता आचार्य से सतत प्रेरणा मिलती है। निष्काम सेवा ट्रस्ट के संस्थापक आचार्य पुरुषोत्तमदास भी संवेदनशील पर्यावरण प्रेमी, समर्पित नामानुरागी एवं गो-संत सेवक के रूप में अविस्मरणीय हैं। उनके शिष्य एवं उत्तराधिकारी महंत रामचंद्रदास के संयोजन में गुरु की साधना-सेवा की परंपरा फल-फूल रही है। प्रकांड संस्कृतज्ञ-शास्त्रज्ञ की छवि

loksabha election banner

- रामनगरी जिन रामानंदाचार्य की परंपरा से अनुप्राणित है, वे काशी के थे पर कालांतर में रामानंद की आचार्य परंपरा रामनगरी के यशस्वी संत स्वामी हर्याचार्य से सुशोभित हुई। प्रकांड संस्कृतज्ञ-शास्त्रज्ञ एवं प्रवचनकर्ता के रूप में छाप छोड़ने वाले जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हर्याचार्य को चिरनिद्रा में लीन हुए एक दशक हो गए पर उनके शिष्य एवं उत्तराधिकारी जगद्गुरु स्वामी रामदिनेशाचार्य के संयोजन में आज भी उनकी परंपरा संप्रदाय के गौरव के रूप में प्रवाहमान है। निरा साधु एवं सेवाधर्मी के रूप में समा²त

- रामजन्मभूमि के पक्षकार एवं पौराणिक महत्व की पीठ नाका हनुमानगढ़ी के साकेतवासी महंत भास्करदास निरा साधु एवं सेवाधर्मी थे। उनकी विरासत शिष्यों की पूरी पांत-पीढ़ी के साथ उनके उत्तराधिकारी महंत रामदास के संयोजन में गठित महंत भास्करदास धर्मार्थ सेवा ट्रस्ट के रूप में प्रवाहमान है। यह ट्रस्ट स्वच्छता, पौधरोपण सहित सामाजिक सरोकार के अन्यान्य आयामों में सक्रियता के लिए जाना जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.