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अयोध्या में रेलवे को प्रतिमाह छह करोड़ रुपये का नुकसान

ट्रेनों का संचालन सामान्य हुए बिना घाटे से उबरना होगा मुश्किल

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 10:46 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 10:46 PM (IST)
अयोध्या में रेलवे को प्रतिमाह छह करोड़ रुपये का नुकसान
अयोध्या में रेलवे को प्रतिमाह छह करोड़ रुपये का नुकसान

अयोध्या : लॉकडाउन ने भारत सरकार के सबसे महत्वपूर्ण उपक्रम रेलवे को भी तगड़ी चोट दी है। कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सार्वजनिक परिवहन को रोकना जरूरी था। इसलिए यात्री परिवहन के सभी साधनों पर विराम लगाने के साथ ही रेल के पहिये को भी थामना पड़ गया। श्रमिक स्पेशल के बाद सीमित ट्रेनों का संचालन अब शुरू हो चुका है, लेकिन रेलवे आमदनी के लिहाज से काफी पीछे चला गया है।

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रेलवे को लॉकडाउन से कितना नुकसान हुआ इसके लिए अयोध्या-फैजाबाद रेलवे स्टेशन की आमदनी में आई गिरावट से समझा जा सकता है। अयोध्या-फैजाबाद में यात्री और आरक्षित टिकट से रेलवे को छह करोड़ रुपये से अधिक की आय प्रतिमाह होती थी। दो महीने से यह आमदनी बिल्कुल ठप है। करीब 20 दिन पहले आरक्षित टिकट बनना शुरू हुआ तो टिकट बनाने वाले से अधिक रिफंड प्राप्त करने वालों की संख्या है। इस अवधि में देखा जाए तो फैजाबाद, अयोध्या और अकबरपुर रेलवे स्टेशन मिलाकर 35 लाख रुपये से अधिक का रिफंड रेलवे यात्रियों को दे चुका है, जबकि आय अभी लाख तक भी बमुश्किल से पहुंची है।

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ट्रेनें सीमित, लेकिन मारामारी नहीं

रेलवे ने सीमित यात्री ट्रेनें संचालित की हैं। साबरमती और सरयू-यमुना एक्सप्रेस अयोध्या से होकर संचालित हो रही हैं। इन ट्रेनों में सीटे तो भरी हैं, लेकिन यात्रा के लिए वैसी मारामारी नहीं है, जैसी कोरोना काल से पहले के दिनों में दिखती थी। रेलवे के स्थानीय अधिकारी मानते हैं कि लोग आवश्यक यात्रायें ही कर रहे हैं। ट्रेनों की संख्या बढ़ने पर यात्रियों की संख्या में भी इजाफा होगा। फैजाबाद से दिल्ली और मुंबई को जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेनें, कानपुर इंटरसिटी व छह पैसेंजर ट्रेनों के संचालन को लेकर रेलवे बोर्ड से निर्देश मिलने का इंतजार है।

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श्रमिक स्पेशल थमने के बाद मिलेगी रफ्तार

रेलवे से जुड़े स्थानीय जानकार मानते हैं कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के थमने के बाद ही बड़ी संख्या में यात्री ट्रेनों का संचालन संभव हो सकता है। अधिकांश एक्सप्रेस ट्रेनों के स्लीपर कोच का इस्तेमाल श्रमिक ट्रेनों में हो रहा है, जिसके कारण यात्री ट्रेनों में स्लीपर कोच कम हो गए हैं। कोच खाली होने के बाद इन्हें यात्री ट्रेनों में समायोजित किया जाएगा।


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