चार साल में बने साढ़े 19 हजार प्रधानमंत्री आवास
सामाजिक-आर्थिक सर्वे के आधार पर जिले में 21 हजार से अधिक प्रधानमंत्री आवास (ग्रामीण) के लाभार्थी हैं। सरकारी आंकड़े के अनुसार साढ़े 19 हजार लाभाथियों को प्रधानमंत्री आवास मिल चुका है। करीब डेढ़ हजार लाभार्थियों को अभी प्रधानमंत्री आवास मिलना है। सर्वे से इतर चौंकाने वाली एक दूसरी तस्वीर भी है। करीब 51 हजार लोगों को अभी आवास की दरकार है। इनका नाम सामाजिक-आर्थिक सर्वे में नहीं है लेकिन आवास न होने से पात्रता के दायरे में हैं।
अयोध्या : सामाजिक-आर्थिक सर्वे के आधार पर जिले में 21 हजार से अधिक प्रधानमंत्री आवास (ग्रामीण) के लाभार्थी हैं। सरकारी आंकड़े के अनुसार साढ़े 19 हजार लाभाथियों को प्रधानमंत्री आवास मिल चुका है। करीब डेढ़ हजार लाभार्थियों को अभी प्रधानमंत्री आवास मिलना है। सर्वे से इतर चौंकाने वाली एक दूसरी तस्वीर भी है। करीब 51 हजार लोगों को अभी आवास की दरकार है। इनका नाम सामाजिक-आर्थिक सर्वे में नहीं है, लेकिन आवास न होने से पात्रता के दायरे में हैं।
ब्लॉकों से पात्रता के आधार पर पंजीकरण कराया जा चुका है। आवास का लाभ देने के लिए केंद्र सरकार के निर्णय का इंतजार है। पात्रता के बावजूद आवास पाने के लिए ये भटक रहे हैं। दरअसल, वर्ष 2011-12 के सर्वे में चिह्नित लोगों में से समय बीतने के बाद पक्का मकान का निर्माण कराने से अपात्रता के दायरे में आ गए। आवास की संख्या घटती गई, लेकिन सर्वे में नाम न होने से गाइड लाइन के अनुसार दूसरों को लाभ नहीं दिया गया। ----------------------- प्राधिकरण भी बना रहा प्रधानमंत्री आवास -अयोध्या-फैजाबाद विकास प्राधिकरण करीब छह सौ प्रधानमंत्री आवासों का निर्माण बाग-बिजेसर में करा रहा है। जिला प्रशासन ने नजूल की जमीन उपलब्ध करायी है। आवास मद में लाभार्थी को दो लाख रुपये प्राधिकरण को देना होगा। इससे अधिक व्यय धनराशि सरकार वहन करेगी। करीब एक वर्ष की तलाश के बाद निश्शुल्क जमीन जिला प्रशासन ने प्राधिकरण को उपलब्ध करायी है। ------------------------ त्रिस्तरीय चेकिग में मिले अपात्र -प्रधानमंत्री आवास (ग्रामीण) के आवंटन में ऐसा नहीं है कि गड़बड़ियां नहीं हुईं। अपात्रों को भी आवास का लाभ दिया गया। कई पंचायत सचिव कार्रवाई की जद में आ गए हैं। उन्हें आवास के लिए दी गई धनराशि सरकारी खजाने में जमा करानी पड़ी।
---------------------------- बोले जिम्मेदार -जिला ग्राम्य विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक कमलेश कुमार सोनी के अनुसार अपात्रों को मिले आवासों के सत्यापन के दौरान गड़बड़ी पकड़ में आई। त्रिस्तरीय सत्यापन से आवास आवंटन में गड़बड़ी पर अंकुश लगा है।