कुशल श्रमिकों की कमी से प्लाईवुड उद्योग की रफ्तार धीमी
करोड़ों का घाटा उद्यमियों के माथे पर चिता की लकीरें पैदा करने वाला है। कुशल श्रमिक साथ छोड़ कर जा चुके हैं। स्थानीय श्रमिकों पर वश नहीं चलता है।
अयोध्या : कोरोना ने कारोबार की कमर तोड़ डाली है। शायद कोई ट्रेड ऐसा हो, जिस पर लॉकडाउन का दुष्प्रभाव न पड़ा हो। ऐसा ही एक कारोबार प्लाईवुड का है। प्लाईवुड का निर्माण जिले में पांच इकाईयां करती हैं। इन इकाईयों में उत्पादन की रफ्तार इतनी धीमी हो जाएगी, इसकी कल्पना उद्यमियों ने नहीं की थी। अयोध्या का प्लाईवुड कारोबार अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है।
करोड़ों का घाटा उद्यमियों के माथे पर चिता की लकीरें पैदा करने वाला है। कुशल श्रमिक साथ छोड़ कर जा चुके हैं। स्थानीय श्रमिकों पर वश नहीं चलता है। ऐसे ही दुश्वारियों भरे रास्ते पर चलते हुए प्लाईवुड इकाई चला रहे जयप्रकाश अग्रवाल कहते हैं कि फैक्ट्रियां जहां पांच-लाख रुपये का माल प्रतिदिन उत्पादन करती थीं, वहीं अब यह घटकर एक से डेढ़ लाख रुपये तक आ गया है। उद्यमियों ने कारोबार के लिए पहले से ही बैंक से लोन ले रखा है। उसे भी अदा करना है और बिजली का बिल भी भुगतान करना है। सरकार को इन मुद्दों पर भी उद्यमियों को राहत देनी चाहिए। ताकि व्यापार पटरी पर आ सके। 100 श्रमिकों के स्थान पर फैक्ट्रियों में 30-35 श्रमिकों से काम चलाया जा रहा है। गैर प्रांतों से टूटा संपर्क
अयोध्या में बनने वाली प्लाईवुड की सप्लाई बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र सहित पूरे देश में होती है। कोरोना का प्रकोप बढ़ने के साथ ही इन प्रांतों से व्यापार प्रभावित हो गया है। बाजारों से भुगतान नहीं आ पा रहा हैं। कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो जब तक बाजार खुलेंगे नहीं तब तक प्लाई कारोबार में गति आना मुश्किल है।