बंगला फुल मध्य दोऊ बैठे सोहत श्यामा-श्याम..
अयोध्या : वह रात तो अमावस्या की थी पर आस्था पूरी शिद्दत से रोशन थी। मौका, आचार्य पीठ दशरथमह
अयोध्या : वह रात तो अमावस्या की थी पर आस्था पूरी शिद्दत से रोशन थी। मौका, आचार्य पीठ दशरथमहल बड़ास्थान में फूल बंगला की झांकी का था। पीठाधिपति ¨वदुगाद्याचार्य महंत देवेंद्रप्रसादाचार्य के संयोजन में आराध्य को पूरे भाव और वैभव से फूल-बंगला में प्रतिष्ठापित किया गया। भांति-भांति के सुगंधित-सुशोभित पुष्पों तथा पुष्प लड़ियों से सज्जित फूल-बंगला के सामने भजन संध्या सजाई गई। भजन संध्या में कई स्थापित संगीतज्ञों सहित शौकिया गायकों ने भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
फूल-बंगला में सोहैं युगल रसिया/ फूलों की सोहै नवल बगिया। बंगला फुल मध्य दोऊ बैठे/ सोहत श्यामा-श्याम। फूलों में सज रहे हैं श्री वृंदावन बिहारी.. जैसे भक्ति एवं श्रृंगार में पगे गीतों की प्रस्तुति श्रोताओं को विभोर करने वाली रही। आचार्य गौरी शंकरदास, रामकिशोरदास, ओंकारदास, मधुकरी संत मिथिला बिहारीदास, पंडित विष्णुप्रसाद नायक, रवींद्र कुमार आदि ने अपनी प्रस्तुतियों से समां बांधा। सामाजिक सरोकारों के लिए जाने जाने वाले नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास ने भी भजन प्रस्तुत किया और अपनी प्रतिभा से चमत्कृत किया। इस मौके पर रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास, जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य, महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, विधायक वेदप्रकाश गुप्त एवं रामचंद्र यादव, दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेशदास, तिवारी मंदिर के महंत गिरीशपति त्रिपाठी, दंतधावनकुंड के महंत नारायणाचारी, मंत्रार्थ मंडपम के महंत अयोध्यादास, दशरथगद्दी के महंत बृजमोहनदास, आंजनेय सेवा संस्थान के अध्यक्ष महंत शशिकांतदास, चंद्रहरि मंदिर के महंत कृष्णकांताचार्य, डांड़िया मंदिर के महंत गिरीशदास, रामकथा मर्मज्ञ डॉ. सुनीता शास्त्री, दर्शनभवन की महंत डॉ. ममता शास्त्री, शत्रुघ्ननिवास के महंत पवनकुमारदास शास्त्री, नागा रामलखनदास, समाजसेवी नंदकिशोर मिश्र पेड़ा महाराज, भाजपा की प्रदेशीय समिति के सदस्य अभिषेक मिश्र, युवा भाजपा नेता विशाल मिश्र आदि सहित बड़ी संख्या में संत एवं श्रद्धालु मौजूद रहे। ¨वदुगाद्याचार्य महंत देवेंद्रप्रसादाचार्य ने इस मौके पर पीठ के संस्थापक एवं सिद्धि-साधना के पर्याय माने जाने वाले स्वामी रामप्रसादाचार्य एवं कुछ अन्य पूर्वाचार्यों का स्मरण कराया और कहा, इन आचार्यों के जीवन से यह प्रमाणित है कि मधुर उपासना से भगवान की प्रतीति-प्राप्ति संभव है। ¨वदुगाद्याचार्य के कृपापात्र संत रामभूषणदास कृपालु, केसी शरण आदि मंदिर के पार्षदों ने पूरी तत्परता से आगंतुक संतों-श्रद्धालुओं की आवभगत भी की।