पहले ऑडिट कराएं फिर लड़ें पंचायत चुनाव
अयोध्या ग्राम पंचायतों का चुनाव नवंबर में संभावित है। चुनाव के लिए करीब नौ महीना बाकी है। गांवों में पंचायत चुनाव की बढ़ी हलचल के बीच नियमों की बंदिशों से ग्राम प्रधानों की घेराबंदी भी तेज है। उसी बंदिश के तहत चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेने से पहले ग्राम प्रधानों को अपने कार्यकाल की ऑडिट कराना निदेशक पंचायतीराज किजल सिंह ने अनिवार्य कर दिया है।
अयोध्या : ग्राम पंचायतों का चुनाव नवंबर में संभावित है। चुनाव के लिए करीब नौ महीना बाकी है। गांवों में पंचायत चुनाव की बढ़ी हलचल के बीच नियमों की बंदिशों से ग्राम प्रधानों की घेराबंदी भी तेज है। उसी बंदिश के तहत चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेने से पहले ग्राम प्रधानों को अपने कार्यकाल की ऑडिट कराना निदेशक पंचायतीराज किजल सिंह ने अनिवार्य कर दिया है।
अगर आपत्तियां हैं तो उसे निस्तारित कराना होगा। कोई देय उन पर नहीं होना चाहिए। ऐसा न हुआ तो वे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे। निदेशक पंचायतीराज के पत्र ने उन ग्राम प्रधानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया जो अबतक अपने रसूख के बल पर ऑडिट को अंगूठा दिखाते रहे। चुनाव लड़ने के लिए अब ऑडिट कराना आवश्यक है। आपत्तियां लंबित हैं तो निस्तारित कराने के बाद ही चुनाव लड़ सकेंगे। ग्राम पंचायतों का ऑडिट कराने के बाद नोड्यूज (अदेय प्रमाणपत्र) भी नामांकन में देना होगा। जिले में 835 ग्राम पंचायतें हैं। पंचायतीराज विभाग में करीब आठ से 10 वर्ष तक की ऑडिट आपत्तियां लंबित हैं। इनमें वे आपत्तियों भी शामिल हैं जिनके पंचायत सचिव सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सबसे पुरानी लंबित ऑडिट आपत्ति तारुन ब्लॉक की ग्राम पंचायतों की बताई गई है। पत्र में अवशेष शौचालयों का निर्माण 15 दिन में कराना होगा। ऑडिट आपत्ति में अधिरोपित धनराशि की वसूली 20 फरवरी तक कराने का उल्लेख निदेशक पंचायती राज ने किया है।
उप मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी राजेश कुमार पांडेय के अनुसार लंबित आपत्तियों के निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर कराने के लिए जिला पंचायतराज अधिकारी को पत्र लिखा गया है। अनिस्तारित आपत्तियों व निस्तारण के बाद बची अवशेष धनराशि जमा कराने का उल्लेख पंचायतीराज निदेशक के पत्र में है।