91 लाख देना होगा रेलवे को पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति
अधिक मिली थी। वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए रेल साइडिग एरिया में जल छिड़काव आदि की स्थायी व्यवस्था भी नहीं मिली। तीन सदस्यीय निरीक्षण आख्या में ट्रक के आवागमन के समय डस्ट उड़ने का भी जिक्र है। उसी रिपोर्ट ने रेलवे की मुश्किलें बढ़ाई है।
अयोध्या : मानक से अधिक मिले वायु प्रदूषण के खिलाफ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 91.20 लाख रुपये पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति रेल विभाग के खिलाफ अधिरोपित की है। एनजीटी के पारित आदेश में अदायगी न करने पर भू-राजस्व की तरह वसूले जाने का उल्लेख है। प्रकरण फैजाबाद की रेलवे साइडिग का है। यह आदेश शिवांश पांडेय बनाम स्टेट ऑफ यूपी में 29 अगस्त को एनजीटी ने पारित किया है। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय को एनजीटी का आदेश मिल गया है।
क्षेत्रीय अधिकारी स्वामीनाथ ने आदेश मिलने की पुष्टि की है। वहीं स्टेशन अधीक्षक आरके उपाध्याय ने ऐसे किसी आदेश से अनभिज्ञता जताई। उन्होंने बताया कि निरीक्षण के बाद उठाए गए सवाल का जवाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजा गया था। नील विहार कॉलोनी एवं आसपास के लोगों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लगभग पांच महीने पहले रेलवे साइडिग के खिलाफ शिकायत की थी। रेलवे साइडिग के करीब नील विहार कॉलोनी स्थित है।
बोर्ड के निर्देश पर चार अप्रैल को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तीन सदस्यीय टीम ने रेलवे साइडिग का निरीक्षण किया था। निरीक्षण में क्षेत्रीय अधिकारी स्वामीनाथ, एई मनोजकुमार चौरसिया एवं जेई आरके मौर्य शामिल रहे। सीमेंट आदि की लोडिग-अनलोडिग के समय परिवेशीय वायु जांच की गुणवत्ता की मात्रा बोर्ड के निर्धारित मानक से निरीक्षण में अधिक मिली थी।
वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए रेल साइडिग एरिया में जल छिड़काव आदि की स्थायी व्यवस्था भी नहीं मिली। तीन सदस्यीय निरीक्षण आख्या में ट्रक के आवागमन के समय डस्ट उड़ने का भी जिक्र है। उसी रिपोर्ट ने रेलवे की मुश्किलें बढ़ाई है।