कृषि विवि किसानों को सिखाएगा पराली प्रबंधन
फैजाबाद : इधर हाल के वर्षो में कृषि क्षेत्र में यंत्रीकरण के साथ ही इससे निकलने वाले अवशेष का ि
फैजाबाद : इधर हाल के वर्षो में कृषि क्षेत्र में यंत्रीकरण के साथ ही इससे निकलने वाले अवशेष का निबटारा करना एक गंभीर समस्या के रूप में उभरा है। अब तो हालात इतने खराब हो गए हैं कि पराली को जलाने से निकलने वाले धुएं से दम घुटने तक की नौबत आ गई है। राजधानी दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई राज्यों के सामने पर्यावरणीय खतरा गंभीर स्थिति में है। ऐसे में सभी की नजर कृषि विशेषज्ञों की तरफ है कि वह इस संकट से कैसे उबारते हैं।
इस बीच पराली की चुनौती को नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय ने खुद स्वीकारते हुए आगामी सात व आठ दिसंबर को होने वाले कृषि मेले में इस पर गंभीर चर्चा की तैयारी में है। इस बार मेले की थीम पराली प्रबंधन ही है। मेले में आए किसानों को पराली मैनेजमेंट का तरीका बताया जाएगा। इसके लिए किसानों को प्रक्षेत्रों में पराली प्रबंधन का व्यवहारिक तरीका भी बताया जाएगा। कृषि मेला में पूर्वांचल के करीब 20 जिलों के पचास हजार किसानों को शामिल होने की संभावना है। विवि प्रशासन ने इसकी तैयारियां आरंभ कर दी हैं।
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ये भी होगा खास
कृषि मेला में पराली प्रबंधन के साथ ही पशुधन प्रक्षेत्र पर कंपोस्ट पिट प्रबंधन व समन्वित चारा उत्पादन, एकीकृत फसल प्रणाली का प्रदर्शन किया जाएगा। मिट्टी एवं पानी की जांच भी होगी। मेला में किसानों को रबी फसल के लिए शाक-भाजी एवं फलों के उन्नत बीज व पौधों भी मिल सकेंगे। किसानों को फसलों के उन्नतशील एवं शंकर प्रजातियों की जानकारी दी जाएगी। मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, पशुपालन, बटेर एवं मुर्गी पालन, कस्टम हायर सर्विस की तकनीकी, कृषि एवं ग्रामीण विकास से संबंधित पुस्तकों की बिक्री होगी। किसानों एवं कृषक महिलाओं के लिए प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, खाद्यान्न, फसल, फल-फूल व सब्जी प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।
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मेला में कृषि अवशेष प्रबंधन पर पूरा फोकस होगा। किसान इस विधा को सीख कर जाएं और खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाएं, इस पर विशेष जोर दिया जाएगा। कृषि मेला में दूर-दराज से आने वाले किसानों को नई तकनीकी की जानकारी भी दी जाएगी, जिससे कम लागत में उन्हें अधिक पैदावार मिल सके।
डॉ. एपी राव
निदेशक प्रसार
कृषि विवि