मंदिर निर्माण को तैयार है न्यास कार्यशाला
अयोध्या : मंदिर निर्माण को लेकर विधिक बाधाओं का निस्तारण भले ही प्रतीक्षित हो पर रामजन्मभूि
अयोध्या : मंदिर निर्माण को लेकर विधिक बाधाओं का निस्तारण भले ही प्रतीक्षित हो पर रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला की तैयारी पुख्ता है। प्रस्तावित मंदिर 270 फीट लंबा, 135 फीट चौड़ा तथा 125 फीट ऊंचा है। दो मंजिला मंदिर के प्रत्येक तल पर 106 स्तंभ लगने हैं। भूतल के स्तंभ 16.5 फीट ऊंचे हैं। इन स्तंभों के ऊपर तीन फीट मोटे पत्थर की बीम और एक फीट मोटे पत्थर की छत होगी। ऊपर की मंजिल के स्तंभ 14.5 फीट ऊंचे हैं। इसके बाद बीम, छत एवं शिखर संयोजित होगा।
मंदिर की दीवारें छह फीट मोटे पत्थर की होंगी तथा चौखट सफेद संगमरमर का। 1991 से संचालित रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला में पत्थरतराशी का काम 65 फीसदी से अधिक पूर्ण हो चुका है। गत दशक से न्यास कार्यशाला में पत्थर तराशी के प्रति पहले जैसी तत्परता नहीं रह गई। जहां शुरुआती दशक में न्यास कार्यशाला में पत्थर तराशने वालों की संख्या दर्जनों में हुआ करती थी, वहीं हाल के वर्षों में पत्थर तराशी में लगे कारीगरों की संख्या इकाई में सिमट गई है। इसके बावजूद यदि कार्यशाला में नि¨श्चतता का आलम है तो उसके पीछे सीधी गणित है। कार्यशाला के प्रभारी अन्नू भाई सोमपुरा कहते हैं, हम आदेश मिलते ही मंदिर निर्माण के लिए तैयार हैं। उनकी मानें तो जितने पत्थर तराशे गए हैं, उन्हें मंदिर के लिए निर्धारित जगह पर शिफ्ट करने में वर्षों लग सकते हैं और इस अवधि में अधिकाधिक कारीगर लगाकर बाकी बचे पत्थरों की तराशी बड़े आराम से पूरी की जा सकती है।
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा कहते हैं, न्यास कार्यशाला मंदिर आंदोलन का महत्वपूर्ण प्रकल्प रहा है और हम मंदिर निर्माण कार्यशाला को लेकर गौरवांवित हैं। शर्मा के अनुसार न्यास कार्यशाला मंदिर निर्माण के संकल्प का प्रत्यक्ष और महान परिचायक है और इसे देखकर सहज ही प्रतीत होता है कि मंदिर निर्माण का उद्यम फलीभूत होने में अधिक देर नहीं है।