दहलाती है नारी संरक्षण गृह की व्यथा
प्तसागर कालोनी स्थित राजकीय महिला शरणालय की व्यथा दहलाने वाली है। यह सच्चाई सेवानिवृत्त जिला जज आरपीशुक्ल, सुलतानपुर की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आशारानी एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव पूनम ¨सह के निरीक्षण के दौरान सामने आई। महिला शरणालय का मानक 25 का है पर इसमें रहने को मजबूर 62 संवासिनियां हैं। इन वंचिताओं की सुविधा-सहूलियत तो गौड़ है ही, उनका भविष्य भी कटी पतंग बन क
अयोध्या : सप्तसागर कालोनी स्थित राजकीय महिला शरणालय की व्यथा दहलाने वाली है। यह सच्चाई सेवानिवृत्त जिलाजज आरपी शुक्ल, सुलतानपुर की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आशारानी एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव पूनम ¨सह के निरीक्षण के दौरान सामने आई। महिला शरणालय का मानक 25 का है, पर इसमें रहने को मजबूर 62 संवासिनियां हैं। इन वंचिताओं की सुविधा-सहूलियत तो गौड़ है ही, उनका भविष्य भी कटी पतंग बनकर रह गया। इससे कुछ को रहते वर्षों हो गए हैं। शरणालय में अधिकांश वे नाबालिग लड़कियां आती हैं, जो लड़कपन के प्रेम में पड़कर छली गई होती हैं। नियमानुसार 18 से अधिक की उम्र में वे शरणालय में नहीं रखी जा सकतीं, लेकिन वर्षों से उन्हें अपनाने वाले का इंतजार हैं। किसी का परिवार है तो टूटा हुआ। कुछ ऐसी वंचिताएं हैं, जिसका कोई नहीं है। शरणालय में ऐसी महिलाओं का प्रतिनिधित्व है, जो कहीं से लावारिस बरामद होती हैं। इस संवर्ग की महिलाओं में कुछ तो बूढ़ी हो चली हैं। शरणालय का सर्वाधिक संत्रास उन उन 20 संवासिनियों से बयां होता है, जो मानसिक रूप से बीमार हैं। निरीक्षण के लिए पहुंचे न्यायाधीशों ने परित्यक्त संवासिनियों की आवाज परिवारवालों तक पहुंचाने का आह्वान किया। ---------------इनसेट----------
लड़कियों को बोझ न समझे
-निरीक्षण में शामिल सेवानिवृत्त जज आरपी शुक्ल के मुताबिक लड़कियों को बोझ नहीं समझा जाना चाहिए और शरणालय का परित्यक्त जीवन काटने को मजबूर महिलाओं को मुख्यधारा में शामिल होने का अवसर मिलता चाहिए। इसके लिए पहले परिवारजनों को आगे आना होगा।
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यह सही है कि शरणालय में क्षमता से अधिक संवासिनियों को रखा गया है पर आस-पास ऐसी और कोई संस्था नहीं है। बगैर किसी वारिस के लड़कियों को छोड़ा नहीं जा सकता।
आशा मिश्रा, प्रबंधक महिला शरणालय ---------------------
मंद बुद्धि संवासिनियों की संख्या कम होगी
- शरणालय के लिए संतोष की बात यह कि 20 मंदबुद्धि संवासिनियों में से नौ को जल्दी ही बनारस के महिला शरणालय में भेजा रहा है। -------------------------
मानक से ढाई गुना बोझ - किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार 50 की क्षमता वाले ऐसे शरणालय के लिए साढ़े आठ हजार वर्ग फीट भूमि होनी चाहिए पर 62 संवासिनियां होने के बावजूद यह शरणालय इससे आधे से कम भूमि में विस्तृत है। नियमानुसार शरणालय में वाचनालय तक की व्यवस्था होनी चाहिए। बुनियादी सुविधा तक के लाले हैं। सच्चाई यह है कि शरणालय 25 संवासिनियों को आश्रय देने की सामर्थ्य वाला है।