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Ayodhya Ram Mandir News: मुस्लिम महिलाएं तैयार कर रहीं रामलला के लिए राखी

पीएम मोदी और सीएम योगी के लिए भी डाक से भेजीं राखियां। हर हद से परे रामलला के मुरीद हैं हर पंथ के अनुयायी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 07:21 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 11:40 AM (IST)
Ayodhya Ram Mandir News: मुस्लिम महिलाएं तैयार कर रहीं रामलला के लिए राखी
Ayodhya Ram Mandir News: मुस्लिम महिलाएं तैयार कर रहीं रामलला के लिए राखी

अयोध्या, जेएनएन। सीमा खान, शबाना शेख, खुशबू खान, रिहाना, गुलनाज बानो... इन महिलाओं का ताल्लुक बेशक इस्लाम से है, पर रामलला के प्रति श्रद्धावनत भाव भी। रामलला को अपना पूर्वज मानने वाली ये मुस्लिम महिलाएं उनके लिए रक्षासूत्र तैयार कर रही हैं। रक्षाबंधन पर तीन अगस्त को रामजन्मभूमि अथवा कनक भवन जाकर ये महिलाएं भगवान को राखी बांधेंगी। सीमा खान कहती हैं, रामलला अयोध्यावासी ही नहीं, बल्कि संपूर्ण जगत के पूर्वज हैं। हम हर तीज-त्योहार पर रामलला को अपने पूर्वज की भांति याद करते हैं। इसलिए रक्षाबंधन पर भगवान को राखी भी बांधी जाएगी। इन महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए भी राखियां बनाई हैं, जिन्हें डाक से भेजा गया है।

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ये सच्चाई इक्का-दुक्का लोगों की नहीं, बल्कि लगभग सभी अयोध्यावासियों की है। अयोध्यावासी पंथ और पूजा पद्धति के बंधन से मुक्त भगवान राम को पूर्वज, पुत्र, भ्राता, मित्र, राजा आदि रूपों में स्वीकारते और पूजते हैं। फतेहगंज निवासी हाजी सईद अहमद को ही ले लीजिए। वे भी भगवान राम को अपना पूर्वज मानते हैं। कहते हैं, जिन गलियों में रामलला का बचपन बीता, जिस अयोध्या ने देश-दुनिया को आदर्श राजा और राज्य की परिभाषा बताई, वह गौरवांवित करने वाली है। रामलला हम सबके दुलारे हैं। अयोध्या की पहचान ही उनसे है। वे जन्मभूमि पर मंदिर के भूमिपूजन को लेकर भी उत्साहित हैं। कहते हैं, यदि भूमिपूजन में जाने का अवसर मिला तो बहुत बड़ा सौभाग्य रहेगा और यदि नहीं मिला तो भी कोई गम नहीं। रामलला भव्य मंदिर में विराजमान हों, हमारे के लिए यही फक्र की बात है.... और प्रधानमंत्री का स्वागत भी तो किया ही जाएगा। 

साहित्यकार व शिक्षक दीपक मिश्र कहते हैं, यही स्वभाव अयोध्यावासियों को दुनियाभर का मुरीद बना देता है। यूं भी अयोध्या के शांत, संयत और समभाव स्वभाव की अपराजेयता दुश्कर मौकों पर भी रही है। फिर चाहे वह सबसे बड़े और लंबे मुकदमे के फैसले की तारीख रही हो अथवा 90 के दशक के उस दौर की भी, जब अयोध्या के नाम पर फसाद हुए। अयोध्या और अयोध्यावासी पंथ से परे स्थिर और समभाव स्वभाव से हर तारीख और फैसले को लेते-देखते अब रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर के भूमि पूजन का उल्लसित मन से इंतजार कर रहे हैं। 


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