Move to Jagran APP

बापू ने चखी पूजा के हाथ की बनीं सब्जी व रोटी

निहाल हुआ जैसे राम को अपनी झोपड़ी में देख सबरी कृतार्थ हुई थीं। शाम सात बजे तक केशवराम को न तो यह आभास था और न ही ऐसी कोई कल्पना थी कि उनके दरवाजे पर मोरारी बापू दस्तक दे सकते हैं। तकरीबन शाम के साढ़े सात बजते हैं। अनाचक घर के सामने गाड़ियां रुकती हैं। एक गाड़ी से मोरारी बापू उतरते हैं। बापू के साथ में अयोध्या के हाईटेक संत एमबी दास व अन्य चंद करीबी रहे। केशव व उनके परिवार के सदस्य बापू को सा

By JagranEdited By: Published: Mon, 31 Dec 2018 06:46 PM (IST)Updated: Mon, 31 Dec 2018 06:46 PM (IST)
बापू ने चखी पूजा के हाथ की बनीं सब्जी व रोटी
बापू ने चखी पूजा के हाथ की बनीं सब्जी व रोटी

अयोध्या : रामकथा के शीर्षस्थ वक्ता मोरारी बापू की वाणी ही नहीं बल्कि उनके व्यक्तित्व में भी मानस रचा बसा है। गणिकाओं के उद्धार के लिए कथा कहने अयोध्या पहुंचे बापू में संतत्व की और अमिट छाप देखने को मिली। सांसारिक वैभव से परे मोरारी बापू की एक साधना गरीबों के यहां भोजन करने की है। इसकी तस्दीक अयोध्या के बनवारी का पुरवा में रहने वाले केशवराम के घर हुई। शुक्रवार की देर शाम वे बापू को अपने दरवाजे पाकर केशवराम उसी तरह निहाल हुआ जैसे राम को अपनी झोपड़ी में देख सबरी कृतार्थ हुई थीं। शाम सात बजे तक केशवराम को न तो यह आभास था और न ही ऐसी कोई कल्पना थी कि उनके दरवाजे पर मोरारी बापू दस्तक दे सकते हैं। तकरीबन शाम के साढ़े सात बजते हैं। अचानक घर के सामने गाड़ियां रुकती हैं। एक गाड़ी से मोरारी बापू उतरते हैं। बापू के साथ में अयोध्या के हाईटेक संत एमबी दास व अन्य करीबी रहे। केशव व उनके परिवार के सदस्य बापू को सामने देख हतप्रभ रह जाते हैं। केशव समझ नहीं समझ पाते कि द्वार पर आए बापू का सत्कार कैसे करे। जल्दबाजी में केशव घास-फूस की झोपड़ी में पड़ी चौकी साफ करने लगते हैं और बापू के करीबी उनके बैठने को आसन बिछाते हैं। पास खड़ी केशवराम की बिटिया को बापू बुलाते हैं और नाम पूछते हैं, बिटिया नाम पूजा बताती है। फिर बापू ने पूछा भोजन पका लेती हो, बिटिया ने चट हां कर दी। पूजा घर के भीतर जाकर बापू के लिए आलू-गोभी की सब्जी व रोटी बनाने में जुट जाती है। दरवाजे पर बापू के सामने अलाव जलाया जाता है। बापू करीबियों के साथ वहीं बैठ जाते हैं। पहले चाय पिया और बाद में चाव से भोजन किया। भोजन के साथ मिर्च का आचार भी खाया। दूसरी ओर करीबियों ने केशव के घर के बाहर ही आग की लकड़ी पर बापू के लिए पराठा भी बनाया। तकरीबन एक घंटे रहे फिर चलते समय बापू ने केशवराम व उनके परिवार के सभी सदस्यों को उपहार दिया। इसके अलावा शनिवार की शाम वे गुप्तारघाट पहुंचे और वहां के एक निषाद परिवार के यहां भोजन किया।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.