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मानस ऋषि की ²ष्टि पाने की बेताबी

अयोध्या : समय तकरीबन शाम पौने पांच बजे का रहा होगा। रामघाट स्थित कैलाश भवन को जाने वाले मार्ग पर गाड़ियां बढ़ी जा रही हैं। ई-रिक्शे, मोटरसाइकिल, चार पहिया वाहन, टेंपो आदि में सवार लोग जल्द से जल्द रामघाट स्तित कैलाश भवन पहुंचना चाहते हैं। लक्ष्य सिर्फ एक.. कैलाश भवन में प्रवास कर रहे रामायण, गीता और अन्यन्य उदाहरणों से गणिकाओं की शुभता की सिद्धि करने वाले मानस ऋषि मोरारी बापू की ²ष्टि प्राप्त हो सके। बापू के प्रति यह दीवानगी लोगों को कहां-कहां से खींचकर लाई है, यह जानना भी कम दिलचस्प नहीं। यहीं कमल शर्मा मिलते हैं,

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Dec 2018 11:05 PM (IST)Updated: Sun, 23 Dec 2018 11:05 PM (IST)
मानस ऋषि की ²ष्टि पाने की बेताबी
मानस ऋषि की ²ष्टि पाने की बेताबी

अयोध्या : समय तकरीबन शाम पौने पांच बजे का रहा होगा। रामघाट स्थित कैलाश भवन को जाने वाले मार्ग पर गाड़ियां बढ़ी जा रही हैं। ई-रिक्शे, मोटर साइकिल, चार पहिया वाहन, टेंपो आदि में सवार लोग जल्द से जल्द रामघाट स्थित कैलाश भवन पहुंचना चाहते हैं। लक्ष्य सिर्फ एक.. कैलाश भवन में प्रवास कर रहे रामायण, गीता और अन्यन्य उदाहरणों से गणिकाओं की शुभता की सिद्धि करने वाले मानस ऋषि मोरारी बापू की ²ष्टि प्राप्त हो सके। यह बापू के प्रति दीवानगी ही है कि दिल्ली, महाराष्ट्र व गुजरात आदि प्रांतों से लोगों का पहुंचना हुआ है। यहीं शास्त्रीय संगीतकार देव प्रसाद पांडेय मिलते हैं। कहते हैं बापू की ²ष्टि पाना ही हमारे लिए बहुत होता है। उन जैसे एक-दो नहीं, बल्कि तमाम ऐसे श्रोता हैं, जो बापू की चरण रज पाने को आतुर दिखते हैं। कथा और मुलाकात के घोषित समय बापू उनके कहने के मुताबिक अपनी बगिया के फूलों (श्रोता) से सहर्ष मिलते हैं। घड़ी की सुइयां शाम के पांच-सवा पांच बजने की सूचना दे रही होती हैं। बापू कैलाश भवन के मैदान में पहुंचते हैं। वहां लगे झूले पर बैठते हैं और सिलसिला चल निकलता है. जय सियाराम से अभिवादन और फिर जाने-पहचाने लोगों से कुशल क्षेम पूछना..। तो उनके दर्शन को खड़े श्रोताओं के लिए बापू से एक बार निगाह भर मिल जाना ही सर्वाशीष होता है।

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विवेकानंद की भांति विदेश जाएं युवा

बड़ा भक्तमाल के मैदान में 'मानस गणिका' के दूसरे दिन मोरारी बापू ने अपने विषय के औचित्य को तमाम उदाहरणों से प्रतिपादित किया तो साथ में युवाओं को भी सीख दी। कहा, युवा विदेश जाएं तो स्वामी विवेकानंद की तरह। जाएं भी तो अपनापन छोड़कर वापस न लौटें, बल्कि भारतीयता की छाप छोड़कर लौटें। व्यसन बन चुके मोबाइल के उपयोग पर भी उनकी ¨चता जाहिर हुई। कहा, कुसंग से भेद बुद्धि उत्पन्न होती है, समझ खत्म होती है और बुद्धि नष्ट नहीं, बल्कि भ्रष्ट होती है। इसलिए मोबाइल का उपयोग सीमित हो। माता-पिता भी इस बात की ¨चता करें। उन्होंने युवाओं को रामनाम के जप की भी सीख दी। कहा, न समय मिले तो सब काम निपटाकर सोने से पहले सिर्फ कुछ देर के लिए रामनाम का मानसिक जाप ही करें। फर्क स्वयं दिखना शुरू हो जाएगा। कथा श्रवण कर रहे नीलविहार निवासी संजय ¨सह कहते हैं. मोरारी बापू की कथा की संगति में प्राप्त सीख हम जैसों के लिए पुण्य के फल के समान है और पालन पारायण जैसा।


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