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सत्य, प्रेम व करुणारहित राजनीति विधवा जैसी

अयोध्या : मोरारी बापू..। मानस किन्नर, मानस गणिका., उनकी कथा के ये ऐसे विषय हैं, जो समाज के सबसे उपेक्षित और तिरस्कृत वर्ग को ना केवल पुनस्र्थापित कर रह हैं, बल्कि उनके उद्धार और स्वीकार्य की ठोस भावभूमि भी बना रहे हैं। मानस के दिग्गज वक्ता मोरारी बापू ने गणिका को अयोध्या की रामकथा का विषय क्यों बनाया और इसके पीछे उनका क्या उद्देश्य था? नौ दिन की कथा में उन्होंने स्वयं गणिकाओं को यह संबोधित कर स्पष्ट किया कि आप सब (गणिकाएं) मेरी बेटियां हैं। मैं बापू हूं। हम कन्यादान भी करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 31 Dec 2018 06:42 PM (IST)Updated: Mon, 31 Dec 2018 06:42 PM (IST)
सत्य, प्रेम व करुणारहित राजनीति विधवा जैसी
सत्य, प्रेम व करुणारहित राजनीति विधवा जैसी

अयोध्या : मोरारी बापू..। मानस किन्नर, मानस गणिका., उनकी कथा के ये ऐसे विषय हैं, जो समाज के सबसे उपेक्षित और तिरस्कृत वर्ग को ना केवल पुनस्र्थापित कर रहे हैं, बल्कि उनके उद्धार और स्वीकार्य की ठोस भावभूमि भी बना रहे हैं। मानस के दिग्गज वक्ता मोरारी बापू ने गणिका को अयोध्या की रामकथा का विषय क्यों बनाया और इसके पीछे उनका क्या उद्देश्य था? नौ दिन की कथा में उन्होंने स्वयं गणिकाओं को यह संबोधित कर स्पष्ट किया कि आप सब (गणिकाएं) मेरी बेटियां हैं। मैं बापू हूं। हम कन्यादान भी करेंगे। वे यह भी चाहते हैं कि अयोध्या में भव्य राममंदिर बने। वे मानते हैं भारत का भविष्य उज्ज्वल है। वे कहते हैं कथा कहना गणित नहीं। कैलाश मानसरोवर और पानी के जहाज तक में कथा कह चुके साधना यात्रा की साक्षात सिद्ध मूरत शीर्षस्थ रामकथा गायक संत मोरारी बापू अपनी 820 वीं कथा के सिलसिले में नौ दिनों तक अयोध्या में रहे। हनुमान जी के जाति-धर्म विवाद, राजनीति में धर्म के इस्तेमाल और महात्मा गांधी के रामराज्य के स्वप्न पर मोरारी बापू से रघुवरशरण व नवनीत श्रीवास्तव ने खास बातचीत की। पेश हैं वार्ता के प्रमुख अंश-

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-यूं तो कहने को गीता, पुराण और भागवत जैसे ग्रंथ भी हैं, फिर गान के लिए मानस ही क्यों?

-गोमुख से गंगा ही निकलती है। सब नदी अपने आप की ऊंचाई पर है, पवित्र है, महिमावंत हैं, लेकिन गोमुख से तो गंगा ही निकली है। हमारी पूरी परंपरा में मानस उतर रही है।

-क्या कथा कहना कोई गणित है?

-कथा का अवतरण होता है। कथा कहना सहज प्रवाह है। प्रवाही परंपरा है।

-हनुमान जी की जाति और धर्म तक तय किया जा रहा है। आप क्या कहेंगे?

-वायु की कोई जाति नहीं होती। पवन न ¨हदू होता है, न मुस्लिम, न जैन, न ब्राह्मण, न क्षत्रिय, न वैश्य, न शुद्र। वायु सबका प्राण है। हनुमान जी सबके प्राण है।

-रामजन्मभूमि मामले का हल किस तरह देखते हैं? क्या आप पहल करेंगे?

-मेरा मानना है राममंदिर होना चाहिए और संवाद से होना चाहिए। कैसे होगा ये मुझे खबर नहीं। फिलहाल मेरा पहल का इरादा नहीं पर मंदिर होना चाहिए और संवाद से हो।

-आपको महात्मा गांधी के रामराज्य की कल्पना कितनी फलीभूत होती दिख रही है?

-जिस तरह महात्मा गांधी जी का ख्वाब था और जो राष्ट्र चाह रहा है वो प्रारूप तो हम अभी नहीं पा रहे हैं, लेकिन सब अपने-अपने तरीके से प्रयास कर रहे हैं। इसमें व्यास पीठ भी अपनी तरह से प्रयास कर रही है।

-आने वाले वर्षों में भारत का भविष्य कैसा दिखता है?

-मुझे भारत का भविष्य बहुत उज्ज्वल दिखता है। रामराज्य का मतलब सत्य का राज, प्रेम का राज, करुणा का राज।

-राजनीति में धर्म का प्रयोग कितना उचित है?

-मेरा स्टैंड पहले से पक्का है। धर्म में राजनीति नहीं होनी चाहिए। राजनीति में धर्म होना चाहिए। मेरा धर्म का मतलब सत्य, प्रेम और करुणा है। जिस राजनीति में ये तीनों नहीं, वो राजनीति विधवा जैसी है।

-आपकी कथा में तमाम नेता आते हैं। क्या आपको कभी स्वयं के इस्तेमाल का खतरा महसूस हुआ?

-सुर, नर, मुनि, सबकै यह रीती, स्वारथ लागि कर¨ह सब प्रीति.। सबके अपने-अपने हेतु हैं, लेकिन मेरी सबसे प्रमाणिक दूरी है। मैं अकेला हूं। अकेला घूमता हूं। मैं और मेरी व्यासपीठ। मैं और मेरी रामचरितमानस।

-किन्नर और गणिका के बाद कौन?

-अभी कुछ सोचा नहीं। परमात्मा जो प्रेरणा करें।


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