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भगवान राम के वंशजों पर विमर्श के बीच जानिये कब हुआ उनका जन्म, रिटायर्ड जज की किताब में यह दावा

इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति देवीप्रसाद सिंह की कृति रेमिनीसेंस ऑफ रामराज्य इन मॉडर्न लॉ में भगवान राम के इतिहास को खंगालने की कोशिश हुई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 14 Aug 2019 09:56 PM (IST)Updated: Wed, 14 Aug 2019 10:07 PM (IST)
भगवान राम के वंशजों पर विमर्श के बीच जानिये कब हुआ उनका जन्म, रिटायर्ड जज की किताब में यह दावा
भगवान राम के वंशजों पर विमर्श के बीच जानिये कब हुआ उनका जन्म, रिटायर्ड जज की किताब में यह दावा

अयोध्या [रघुवरशरण]। सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई के दौरान जहां भगवान राम के वंशजों पर विमर्श छिड़ा हुआ है, वहीं यह जानना रोचक है कि भगवान राम का जन्म कब हुआ था। यूं तो पौराणिक परंपरा भगवान राम का जन्म आठ लाख 80 हजार सौ वर्ष पूर्व का मानती है, वहीं कतिपय आधुनिक शोध के आधार पर भगवान राम का जन्म सात से नौ हजार वर्ष पूर्व के बीच का माना जाता है।

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति देवीप्रसाद सिंह की हाल ही में प्रकाशित कृति 'रेमिनीसेंस ऑफ रामराज्य इन मॉडर्न लॉ' में भगवान राम के इतिहास को भी खंगालने की कोशिश हुई है। पुस्तक की प्रस्तावना में देवीप्रसाद सिंह ने याद दिलाया है कि पुराण मनु से लेकर महाभारत युद्ध तक जिन सौ सूर्यवंशीय राजाओं का वर्णन करते हैं, उनमें भगवान राम 71वें थे और वाल्मीकि ने भगवान राम के जन्म के समय ग्रहों और नक्षत्रों का जो विवरण दिया गया है, ज्योतिषीय गणना के आधार पर वह समय 4439 ईसा पूर्व की 10 जनवरी अथवा 5114 ईसा पूर्व की 10 जनवरी की तारीख थी।

राम को मिथ बताने वाले पूर्वाग्रही

देवीप्रसाद सिंह का आरोप है कि भगवान राम को मिथ अथवा कल्पना बताने वाले इतिहासकार वस्तुत: पूर्वाग्रही थे। उनकी रुचि शोध की गहराइयों में उतर कर सच्चाई सामने लाने की बजाय भारत के गौरवमय अतीत को नकारने में थी पर आज अनेक शोध से यह स्पष्ट हो चुका है कि भगवान राम वाल्मीकि रामायण और पुराणों में जिस तरह से वर्णित हैं, उसी भव्यता और वैभव के अनुरूप वे पूरी प्रामाणिकता से विद्यमान थे।

स्वयं को मानते हैं राम का वंशज

पर्यावरण, जल संरक्षण, राजनीति के अपराधीकरण, शासकीय भ्रष्टाचार आदि के मामलों में देवीप्रसाद सिंह के निर्णयों को मील का पत्थर माना जाता है। आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल के न्यायिक सदस्य और एनजीटी की समिति के चेयरमैन के रूप में छाप छोड़ने वाले सिंह पैतृक रूप से रामनगरी से लगे ग्राम करमा के निवासी हैं और सूर्यवंशीय क्षत्रिय के रूप में वे स्वयं को भगवान राम का वंशज मानते हैं।

आधुनिक शोध से मिली नई दृष्टि

साकेत महाविद्यालय में प्राचीन इतिहास की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कविता सिंह के अनुसार यह दुखद है कि इतिहास की चिर-परिचित मुद्रा भगवान राम की अनदेखी करने वाली रही है पर आधुनिक शोध से इतिहास को नई दृष्टि मिल रही है और आज हम इतिहास की कसौटी के अनुरूप पूरी प्रामाणिकता से कह सकते हैं कि भगवान राम थे।

नासा ने भी परखी हकीकत

नासा ने प्लैनेटोरियम सॉफ्टवेयर तैयार किया है। भगवान राम के जन्म, उनके वनगमन, राम-रावण युद्ध, रावण की मृत्यु और लंका से भगवान के आगमन के समय का वाल्मीकि ने जिन खगोलीय परिस्थितियों का अंकन किया है, उसे इस सॉफ्टवेयर से संयोजित करने पर भगवान राम के जन्म की तारीख 7323 ईसापूर्व की चार दिसंबर को मुकर्रर होती है।


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