भारतीय संस्कृति की चेतना के प्राण हैं राम : राज्यपाल
प्रभु श्री राम भारतीय संस्कृति की चेतना के प्राण तत्व है। संपूर्ण भारतीय संस्कृति में राम नाम की महत्ता की चर्चा पाई जाती है। भगवान श्री राम साधन नहीं साध्य हैं।
अयोध्या: डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में राम नाम अवलंबन एक विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि एवं प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहाकि भारतीय संस्कृति में भगवान श्रीराम का महत्व सदियों से सदैव विद्यमान है। भगवान राम भारतीय संस्कृति की चेतना के प्राण तत्व हैं। राम नाम का आधार ही मानवता का उद्धार कर सकता है। प्रभु को धर्म, जाति देश और काल तक सीमित नहीं किया जा सकता।
विशिष्ट अतिथि जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने कहाकि अयोध्या दुनिया की पवित्रतम भूमि में है। जहां किसी का वध अकारण नहीं हो वह अयोध्या है। जब-जब किसी के जीवन व राष्ट्र में कठिनाई आई है तब तक राम ने ही मार्ग दिखाया है। राम नाम दुनिया की महाऔषधि है। उन्होंने रा का अर्थ राष्ट्र और म का अर्थ मर्यादा से जोड़कर राम के जीवन मूल्यों को स्पष्ट किया है। कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने कहाकि जीवन की प्रत्येक समस्या के निवारण का रहस्य राम नाम में निहित है। कुलपति ने कहाकि राम ने पिता धर्म, पुत्र धर्म, पति धर्म, राज धर्म आदि को परिभाषित किया। मुख्य वक्ता भारतीय शिक्षण मंडल के महामंत्री उमाशंकर पचौरी ने कहा कि राम नाम ब्रह्म सुख की अनुभूति कराने वाला है। उन्होंने कहाकि राम नाम की भक्ति के बिना जीवन अधूरा है। नवाचार प्रकोष्ठ नई दिल्ली के निदेशक डॉ. मोहित गंभीर ने राम के जीवन की प्रत्येक घटना को मानव जाति के लिए संदेश बताया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. रमापति मिश्र ने किया।