आइआइएम इंदौर ने रामनगरी के लिए तैयार किया स्वच्छता का मॉडल' सफाई'
जनजागरूकता के साथ संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का सुझाव. आठ माह के परिश्रम से तैयार रिपोर्ट नगर निगम के हवाले
रविप्रकाश श्रीवास्तव, अयोध्या
रामनगरी को सबसे स्वच्छ शहर बनाने के लिए भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर ने सफाई का प्रारूप प्रस्तुत कर दिया है। नाम पर मत जाइए ये परंपरागत व्यवस्था से जुड़ी सफाई नहीं है, बल्कि तीन चरण में हजारों लोगों की राय और शहर के अध्ययन के बाद तैयार किए गए आईआईएम के मॉडल का नाम है। एसएएफएएआइ (सफाई) के एक-एक शब्द में संपूर्ण अयोध्या को स्वच्छ बनाए रखने का विस्तृत सूत्र है। 'एसए' का अर्थ स्प्रेड अवेयरनेस (जागरूकता फैलाना), 'एफएए' का अर्थ फैसिलिटी अवलिबिटी एंड एक्सेसिबिलिटी (संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराना) और 'आई' से तात्पर्य इच्छाशक्ति से है। आइआइएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय की देखरेख में तैयार किए गए इस मॉडल को अयोध्या नगर निगम के नगर आयुक्त विशाल सिंह को सौंप दिया गया है। रिपोर्ट तैयार करने में आठ माह का समय लगा है।
रामनगरी के समग्र विकास के साथ प्रदेश सरकार की मंशा अयोध्या को सबसे स्वच्छ शहर बनाना भी है, जिसके लिए नगर निगम अयोध्या ने आइआइएम इंदौर से अनुबंध किया है। अयोध्या में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत सूचना, शिक्षा और संचार पहलुओं पर कार्य करते हुए आइआइएम ने यह मॉडल तैयार किया है। शहर में कराए गए सर्वे के आधार पर टीम ने यह पाया है कि स्वच्छता की सोच तो लोगों में है, लेकिन उसे प्रभावी ढंग से अपनाने और अनुपालन कराने की इच्छाशक्ति का अभाव है। नगर निगम और जनता दोनों स्तर पर इच्छाशक्ति को मजबूत करना है। नगर आयुक्त विशाल सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री की मंशा रामनगरी को सबसे स्वच्छ शहर बनाने की है। इस दिशा में आइआइएम इंदौर की टीम ने जो मॉडल तैयार किया है, उसकी समीक्षा कर कार्ययोजना के साथ आगे बढ़ा जाएगा। आशा है कि आइआइएम इंदौर का सुझाव अयोध्या को स्वच्छ बनाने में सहयोग प्रदान करेगा।
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सोमा तंत्र से मिला सफाई का मंत्र
-सफाई मॉडल तैयार करने के लिए आइआइएम ने रिसर्च किया। इसके लिए संस्थान ने एसओएमए (सोमा) तंत्र विकसित किया, जिसमें एस-सोशल सिग्नलिग,ओ-अपॉच्र्युनिटी, एम-मोटिवेशन और ए-अवेयरनेस है। प्रोजेक्ट को तीन फेज में पूरा किया गया। पहले फेज में चुनौतियों का पता लगाने के लिए निरीक्षण, पार्षदों का साक्षात्कार, नगर निगम कर्मियों से वार्ता की गई। दूसरे फेज में पहले फेज की रिपोर्ट के आधार पर डोर-टू-डोर सर्वे कर सत्यापन किया गया। तीसरे फेज में दोनों फेज का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की गई। दो भागों में तैयार की गई रिपोर्ट के प्रथम खंड में 30 से अधिक सुझाव दिए गए हैं, जबकि दूसरे चरण में सुझाव को उदाहरण के साथ समझाया जाएगा। जनजागरूकता के लिए स्वच्छता गीत एवं शपथ भी तैयार कराई जा रही है।
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इन्होंने तैयार किया सफाई मॉडल
-प्रो. हिमांशु राय, निदेशक आइआइएम इंदौर(टीम लीडर)
-प्रो. श्रुति तिवारी
-प्रो. वैजंती
-प्रो. गनेश एन
-प्रो. प्रशांत