अयोध्या में अनशनः राममंदिर सत्याग्रह के दमन का कुचक्र रच रही सरकार की मशीनरी
जलीकट्टू पर अराजकता से डरकर कोर्ट निर्णय देती है और राममंदिर के लिए गांधीवादी तरीके से अनशन के दमन का कुचक्र रचा जा रहा है।
अयोध्या (जेएनएन)। छठवें दिन तक आते-आते महंत परमहंसदास का अनशन सब्र की परीक्षा लेने लगा है। शुक्रवार को देर शाम प्रशासन के प्रतिनिधियों ने उनका अनशन समाप्त कराने के लिए दबाव बनाने की कोशिश की। शनिवार सुबह प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से परमहंसदास ने पहली बार सरकार के रवैये पर सवाल खड़ा किया। कहा, सरकार और उसकी मशीनरी अराजकता की ही भाषा समझती है। तभी जलीकट्टू पर अराजकता से डरकर आनन-फानन कोर्ट निर्णय देती है और राममंदिर के लिए गांधीवादी तरीके से किए जा रहे अनशन के दमन का कुचक्र रचा जा रहा है।
सरकार के रवैये पर क्षोभ
परमहंसदास ने सवाल किया कि क्या सत्याग्रह का समय चला गया है और असत्य अथवा अराजकता का दामन थामने वालों की सुनवाई होगी। अनशन के छठवें दिन परमहंसदास का समर्थन करने वालों का तांता लगा रहा और समर्थकों ने सरकार के रवैये पर क्षोभ जताया। परमहंसदास से मिलने पहुंचे जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य ने कहा, परमहंसदास की मांग जायज है और उन्हें अनसुना करना न्याय, सत्य एवं मंदिर मुद्दे की अवहेलना है। निष्काम सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रामचंद्रदास ने कहा, हम सब मोदीजी के प्रशंसक हैं और यदि वे परमहंसदास की मांग पर उदारतापूर्वक विचार करेंगे तो उनकी छवि में चार-चांद लगेगा।
दुनिया में घूमते पर अयोध्या की उपेक्षा
अनशनस्थल पर डटे बड़ा भक्तमाल मंदिर के महंत अवधेशदास, भागवदाचार्य पं. राधेश्याम शास्त्री, नागा रामलखनदास, रघुवंशसंकल्प सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष दिलीपदास त्यागी, महंत नृत्यगोपालदास के शिष्य आनंद शास्त्री, संत करपात्री आदि ने सरकार के रुख को संवेदनहीन बताया और कहा, महंत परमहंसदास की मांग सर्वथा जायज है। राममंदिर के नाम पर सत्ता पाने वाले दुनिया में घूम सकते हैं पर अयोध्या की उपेक्षा कर रहे हैं। आनंद शास्त्री ने कहा, सत्ता के मद में चूर भाजपा का रुख यदि ऐसा ही रहा तो उसे पूछने वाला कोई नहीं होगा। बार एसोसिएशन के मंत्री प्रदीप चौबे सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं ने भी अनशनरत महंत के प्रति समर्थन व्यक्त किया।
हम उन्हें मनाने गए थे : सीओ
सीओ आरके साव ने अनशनरत महंत से किसी प्रकार की अभद्रता से इन्कार किया। उन्होंने कहा, पुलिस के साथ कतिपय प्रशासनिक अधिकारी उन्हें मनाने गए थे और इस प्रयास में यदि किसी को दुख पहुंचा है तो वह गलतफहमी है।