उच्च कक्षाओं की ऑनलाइन पढ़ाई में संसाधनों की कमी बरकरार
ऑनलाइन एजूकेशन अभी शुरुआती दौर में है। इंटरनेट की कनेक्टिविटी मजबूत होने के बाद इस तरह की कक्षाओं का संचालन और अच्छा हो जाएगा। क्लास रूम की पढ़ाई शुरू होने के बाद भी इसकी अहमियत बरकरार है.
अयोध्या: ऑनलाइन एजूकेशन अभी शुरुआती दौर में है। इंटरनेट की कनेक्टिविटी मजबूत होने के बाद इस तरह की कक्षाओं का संचालन और अच्छा हो जाएगा। क्लास रूम की पढ़ाई शुरू होने के बाद भी इसकी अहमियत बरकरार है। अभी बच्चे स्कूल जरूर जा रहे हैं लेकिन ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन हो रहा है। अभी ऑफलाइन क्लास पूरी रौ में नहीं आ पा रही हैं। पहले की तरह ही ऑनलाइन क्लास का वजूद पूरी तरह से है। पहले की तरह अभी भी ई- क्लास संचालन के दौरान कॉल ड्रप होती है, जबकि इस पर बोझ कम हुआ है। सभी विद्यार्थियों से फीडबैक लेने के बाद ही आगे की पढ़ाई होगी। वाट्सएप ग्रुप पर छोटे बच्चे पढ़ रहे हैं, लेकिन अधिकांश इससे दूर हैं। परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के अभिभावक गरीब व तकनीकी ज्ञान विहीन हैं। इस कारण से भी बच्चे कम जुड़ पा रहे हैं, लेकिन उच्च कक्षाओं में ई एजुकेशन का संचालन रौ में है, इंटरनेट की कनेक्टिविटी कमजोर है। इस कारण 40 फीसद छात्र ही पढ़ाई करते हैं। क्लास से जुड़ने के लिए बार-बार विद्यार्थियों को मैसेज भेजा जाता है। प्रायोगिक कक्षाओं को शुरू करने की तैयारी है। डॉ.करुणेश त्रिपाठी, प्राचार्य झुनझुनवाला डिग्री कॉलेज फैजाबाद।
अयोध्या: ऑनलाइन शिक्षा छात्र-छात्राओं के लिए रामबाण है। कुछ अभिभावकों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं, वे ही समस्या में हैं। इस वजह से वह अपने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा नहीं दिला पा रहे। मोबाइल पर पढ़ाई करने से बच्चों की आंख पर प्रतिकूल असर पड़ता है। अब अधिक दिनों तक ऑनलाइन शिक्षा से बच्चों को जोड़े रखना संभव नहीं है।
डॉ. मधुबाला सिंह, अवधपुरी कॉलोनी बेनीगंज फैजाबाद।
अयोध्या: स्कूल खुल गए लेकिन क्लास में जाने से डर लगता है। शिक्षक के सामने बैठकर पढ़ाई करने पर अधिक ज्ञान मिलता है।ऑनलाइन पढ़ाई में गल्तियां खूब होती हैं और इन्हें सुधारने वाला कोई नहीं है। खुद ही सुधार करना होता है।
संस्कृति, कक्षा 10 अयोध्या एकेडमी अयोध्या।