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हेडइंजरी हुई तो यहां नहीं हो पाएगा इलाज

अयोध्या करीब दो वर्ष की लंबी प्रतीक्षा के बाद दर्शननगर संयुक्त मंडलीय चिकित्सालय में सीटी स्कैन मशीन तो लग गई है लेकिन संचालक का चयन न हो पाने के कारण मरीजों की आस अटक गई है। नतीजा मरीजों को निजी डायग्नोटिक सेंटरों पर महंगी जांच के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 11:24 PM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 06:06 AM (IST)
हेडइंजरी हुई तो यहां नहीं हो पाएगा इलाज
हेडइंजरी हुई तो यहां नहीं हो पाएगा इलाज

अयोध्या : अगर दुर्भाग्यवश आपको हेडइंजरी हुई तो सरकारीतंत्र आपको चिकित्सा सुविधा मुहैया नहीं करा पाएगा। इसकी वजह जिले के किसी सरकारी अस्पताल में सीटी स्कैन की सुविधा न होना है। वह जिला अस्पताल हो या फिर मेडिकल कॉलेज। यही नहीं ट्रामा सेंटर में भी चिकित्सकों का अकाल बना हुआ है। ऐसे में एनएच पर स्थित अयोध्या जैसे अहम जिले में मार्ग दुर्घटना के शिकार मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पताल अथवा लखनऊ जाना पड़ता है।

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राजर्षि दशरथ राजकीय मेडिकल कॉलेज अयोध्या का हिस्सा बन चुके दर्शननगर संयुक्त मंडलीय चिकित्सालय में करीब दो वर्ष की लंबी प्रतीक्षा के बाद सीटी स्कैन मशीन तो लग गई, लेकिन आपूर्तिकर्ता एवं संचालन के लिए अधिकृत संस्था के बीच तालमेल का अभाव होने के कारण अब तक मरीजों को सीटी स्कैन की सुविधा हासिल नहीं हो सकी है। सीटी स्कैन मशीन के संचालन का कार्य भी निजी कंपनी के हवाले होगा। प्राचार्य प्रो. विजय कुमार ने बताया कि इस संबंध में महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को पत्र भेजा गया है।

यही हाल जिला चिकित्सालय का भी है। यहां लगी मशीन गारंटी पीरियड में ही तकरीबन दो वर्ष पहले खराब हो गई। तत्कालीन प्रमुख चिकित्साधीक्षक डॉ. हरिओम श्रीवास्तव ने कंपनी को पत्र भेज कर ठीक कराने की अपेक्षा की। कंपनी ने मशीन संचालन में लापरवाही की बात कहते हुए इसे दुरुस्त करने से मना कर दिया। तब से पत्राचार होता रहा, लेकिन सीटी स्कैन मशीन की मरम्मत नहीं हो सकी। अब तो जिला अस्पताल में रेडियोलाजिस्ट भी नहीं है। -------------- ट्रामा सेंटर में भी चिकित्सकों का अकाल

-सांसद रहते डॉ. निर्मल खत्री ने दर्शननगर में ट्रामा सेंटर के निर्माण को स्वीकृति दिलाने के साथ केंद्र सरकार से धनावंटन कराया था। भवन बनकर तैयार हो गया, तब से छह साल बीत चुके हैं, लेकिन यहां स्वीकृत पद के सापेक्ष चिकित्सकों की तैनाती नहीं हो सकी। यहां इएमओ के चार, आर्थो सर्जन, सर्जन, निष्चेतक के दो-दो पद सृजित हैं, लेकिन किसी की भी तैनाती नहीं है।

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ट्रामा सेंटर के लिए आवश्यक चिकित्सकों की तैनाती नहीं हो सकी है। इसके लिए कई बार पत्राचार भी किया गया। ट्रामा सेंटर को इमरजेंसी हॉस्पिटल के रूप में संचालित किया जा रहा है।

-डॉ. घनश्याम सिंह, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक


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