भव्यतम मंदिर के लिए परमहंसदास ने किया हवन
कहा राममंदिर देश की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक अस्मिता का परिचायक
अयोध्या : रामजन्मभूमि पर भव्यतम मंदिर की मांग के समर्थन में तपस्वी जी की छावनी के महंत परमहंसदास भी कूद पड़े हैं। शनिवार को उन्होंने भव्य-विशाल मंदिर की कामना से हवन किया और उन लोगों की बुद्धि-शुद्धि के लिए प्रार्थना की, जो भव्यता की मांग अनसुनी कर रहे हैं। महंत परमहंसदास ने कहा, आज जिस मॉडल के अनुरूप रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की तैयारी चल रही है, वह आकार-प्रकार में अयोध्या के कई अन्य मंदिरों की ही तरह होगा। जबकि होना यह चाहिए कि राममंदिर न भूतो न भविष्यति की तर्ज पर अत्यंत भव्य एवं विशाल बने।
महंत परमहंसदास ने कहा, यह आश्चर्यजनक एवं क्षोभ पैदा करने वाला है कि मंदिर निर्माण के लिए 70 एकड़ भूमि मिली है और लोग एक एकड़ में मंदिर निर्माण पर आमादा हैं। उन्होंने कहा, रामजन्मभूमि न्यास की ओर से प्रस्तावित 268 फीट लंबा, 140 फीट चौड़ा और 127 फीट ऊंचा मंदिर बुरा नहीं है, पर रामजन्मभूमि देश की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक अस्मिता, शक्ति-समृद्धि के पर्याय स्मारक के रूप में अपेक्षित है और उस हिसाब से यह मंदिर बौना है।
परमहंसदास के अनुसार राममंदिर अहंकार का विषय न बने, पर उसकी गणना दुनिया के चुनिदा मंदिरों में जरूर होनी चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि प्रस्तावित मंदिर की बुनियाद कम से कम 40 एकड़ में हो और शेष 30 एकड़ में मंदिर का कॉरीडोर विकसित हो। मंदिर का शिखर भी कम से कम तीन सौ फीट ऊंचा बनाने की परिकल्पना होनी चाहिए।