एनडी कृषि विवि ने जारी की टिड्डी से बचाव की एडवाइजरी
या लेमदा साइहेलोथरीन 5 ईसी 400 मिली लीटर दवा में से किसी एक को 500 से 600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करना होगा। रात में फसलों को चट करने के बाद सुबह 7 बजे से
अयोध्या: टिड्डी दल के हमले से बचाव के लिए आचार्य नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज के निदेशक प्रसार प्रो. एपी राव ने पूर्वी उप्र के किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की। टिड्डियों के दल के बुंदेलखंड तक पहुंचने से हरी फसल व वनस्पतियों के नष्ट होने का खतरा बढ़ा है। ये हवा की दिशा में सौ से 150 किलोमीटर की दूरी प्रतिदिन तय कर लेती हैं। लगभग दो हजार पांच सौ व्यक्तियों के पेट भरने लायक फसल एक रात में नष्ट कर देती हैं। शाम छह बजे से रात आठ बजे के बीच ये फसल पर हमला बोलती हैं।
प्रो. राव के अनुसार पहला प्रयास टिड्डी दल को खेत में न रुकने देने का होना चाहिए। इसके लिए खेतों के आसपास धुआं, डिब्बों को बजा व अन्य साधनों से तेज आवाज करनी होगी। इनका समूह बड़ा खतरा भांप आगे बढ़ जाता है। रसायनिक नियंत्रण के लिए रात 11 बजे से सुबह आठ बजे के बीच क्लोरपेरिफास 20 ईसी की 1200 मिली. लीटर अथवा क्लोरपेरिफास 50 ईसी की 1000 मिली लीटर या लेमदा साइहेलोथरीन 5 ईसी 400 मिली लीटर दवा में से किसी एक को 500 से 600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करना होगा। रात में फसलों को चट करने के बाद सुबह सात बजे से आठ बजे तक उड़ जाती हैं। उनके अनुसार मादा टिड्डी खेत में रात भर में 1000 से 1500 अंडे देती है जिसे खाली खेतों में जुताई कर नष्ट करना चाहिए।