बंदिशों के बीच संत लगाते रहे रामलला के दरबार में हाजिरी
कोरोना महामारी के बीच अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के अभियान की रफ्तार धीमी जरूर दिखी पर संतों का हौसला कतई नहीं कम हुआ। नगरी के प्रमुख मठों के दो से तीन महंत रामलला का नित्य दर्शन पूजन करते थे और आरती में शामिल हो आस्था निवेदित करते रहे। जब से रामलला को वैकल्पिक गर्भगृह में शिफ्ट किया गया तबसे संतों में दर्शन को लेकर सुगबुगाहट शुरू थी लेकिन महामारी से जुड़ी बंदिशों के कारण संत अपने आराध्य के दर्शन पूजन से वंचित रहे।
अयोध्या : कोरोना महामारी के बीच अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के अभियान की रफ्तार धीमी जरूर दिखी पर संतों का हौसला कतई नहीं कम हुआ। नगरी के प्रमुख मठों के दो से तीन महंत रामलला का नित्य दर्शन पूजन करते थे और आरती में शामिल हो आस्था निवेदित करते रहे। जब से रामलला को वैकल्पिक गर्भगृह में शिफ्ट किया गया, तबसे संतों में दर्शन को लेकर सुगबुगाहट शुरू थी लेकिन महामारी से जुड़ी बंदिशों के कारण संत अपने आराध्य के दर्शन पूजन से वंचित रहे। संतों में रामलला के दर्शन की विकलता को देखते हुए मंदिर से जुड़े प्रमुख लोगों ने यह तय किया कि नित्य दो से तीन संतों को भगवान रामलला की आरती में शामिल किया जाए, जिसे शीघ्र ही अमली जामा पहनाया गया। दर्शन के दौरान ही संतों को रामलला का प्रसाद भी दिया जाता है। रामनामी भेंट की जाती है। दर्शन करने वालों में ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास, रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमार दास, लक्ष्मण किलाधीश मैथिली रमणशरण, अशर्फी भवन मंदिर के महंत श्रीधराचार्य, रंगमहल मंदिर के महंत रामशरणदास, महंत कमलनयन दास, संत समिति के अध्यक्ष कन्हैयादास सहित दर्जनों संत हैं।
दरअसल गत 25 मार्च को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सादगी पूर्ण समारोह में भगवान राम के विग्रह को टेंट के मंदिर से निकाल कर नवनिर्मित वैकल्पिक गर्भगृह में विराजमान किया। वैदिक मंत्रोचार के बीच यह पूरी प्रक्रिया संपन्न हुई। इसी के बाद संत आराध्य के दर्शन को व्याकुल हुए, जिसे देखते हुए संतों के लिए दर्शन की अलग से योजना बनी। सोमवार को भी संतों के दर्शन करने का सिलसिला जारी रहा । माना जा रहा है कि 8 जून से भगवान राम के दर्शनार्थियों की तादाद बढ़ेगी।