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तमसा के तट पर लहरायेगा सहजन

पर्यावरण को संरक्षित करने के साथ कुपोषण को दूर भगाएगा सहजन औषधीय गुणों की खान है सहजन

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 11:34 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 06:10 AM (IST)
तमसा के तट पर लहरायेगा सहजन
तमसा के तट पर लहरायेगा सहजन

अयोध्या : अपने मूल रूप में वापस लौटी रामायण कालीन तमसा नदी की गोद में अब सहजन के वृक्ष आकार ले रहे हैं। औषधीय गुणों से भरपूर सहजन के पौध गत वर्ष तमसा तट के दोनों तरफ आठ किमी परिधि में रोपित किए गए थे। उनकी वृद्धि को देखकर अब इसका दायरा इस वर्ष बढ़ाया जाएगा।

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मनरेगा से तमसा का पुनरुद्धार कर प्रशासन अब तमसा के तीरे औषधीय पौधे रोपित कर रहा है। प्रयोग के तौर पर तकरीबन चार हजार सहजन के पेड़ लगाए गए। तकनीकी सहायक आशीष तिवारी ने बताया डीसी मनरेगा नागेंद्र मोहन राम त्रिपाठी के निर्देश पर तमसा नदी के उद्गम स्थल लखनीपुर से आठ किलोमीटर तक नदी के दोनों तटों पर पोषण वाटिका बनाये जाने की कार्ययोजना तैयार की गई थी। इस योजना के तहत सहजन के पौधे रोपित किए गए थे। अब ये पौधं लगभग एक वर्ष से अधिक समय के हो गए हैं। आगामी वर्षाकाल के बाद कुछ पौधों में फल आने भी शुरू हो जाएंगे। आगामी एक दो वर्षों में प्रचुर मात्रा में फल तैयार होंगे। इस वर्ष बड़ी संख्या में सहजन के पौधे रोपित करने की योजना है। बसौढ़ी पौधशाला में तैयार किए गए 25 हजार पौधे

उप वन क्षेत्राधिकारी वीरेंद्र तिवारी ने बताया कि बसौढ़ी पौधशाला में सहजन के करीब 25 हजार पौधे तैयार किए गए हैं। तमसा नदी के तट सहित प्रधानों में वितरित कर इन्हें लगवाया जाएगा। लगभग तीन वर्षों में ये पौधे फल देने लगेंगे, जिनके सेवन से लोग कुपोषण मुक्त हो सकते हैं। पौष्टिक गुणों की खान है सहजन

आयुर्वेद में सहजन के पौध को पौष्टिक गुणों की खान बताया गया है। इसकी जड़ से लेकर फूल फल पत्ती तना सब बहुत फायदेमंद है। फल व पत्तियों में भारी मात्रा विटामिन ए, बी, सी व कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, आयरन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। सेहत के लिए बहुत ही लाभकारी है। इसके अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण हैं। इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स, 46 तरह के एंटी आक्सीडेंट गुण, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं। इतने गुणों के नाते सहजन चमत्कार से कम नहीं है।

डीसी मनरेगा नागेंद्र मोहन राम त्रिपाठी ने बताया कि तमसा नदी के बंधो पर रोपित किए गए सहजन के पौधों का बहुत तेजी से विकास हुआ है। इस वर्ष भी सहजन सहित अन्य कई औषधीय पौध तमसा के बंधो पर रोपित किए जाएंगे। जल संरक्षण, पर्यावरण व वानिकी का अनुपम उदाहरण बनी तमसा अब तमसा नदी जल संरक्षण, पर्यावरण व वानिकी का अनुपम उदाहरण बनकर उभरी है। जल पुरस्कार के लिए भारत सरकार की टीम यहां आकर सर्वे कर चुकी है। तमसा तट पर पौधेरोपित है तो नालों में बह जाने वाला वर्षा जल अब सीधे तमसा में आ रहा है। तटों पर हरे भरे पौधों की हरियाली के बीच प्रवाहमान जल में लोग नौका विहार कर रहे है।


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