सरयू हुईं हाहाकारी, जलस्तर लालनिशान से 38 सेंटीमीटर ऊपर
अयोध्या/ रुदौली: मंगलवार को सरयू का तेवर और सख्त हो गया। जलस्तर में सात सेंटीमीटर वृद्धि के
अयोध्या/ रुदौली: मंगलवार को सरयू का तेवर और सख्त हो गया। जलस्तर में सात सेंटीमीटर वृद्धि के साथ सरयू लाल निशान से 38 सेंटीमीटर ऊपर जा पहुंचीं। हालांकि प्रात: नौ बजे से ही सरयू का जलस्तर स्थिर हो गया। इसके बावजूद खतरे के निशान से करीब सवा फीट ऊपर बह रहीं सरयू तटवर्ती इलाकों के लिए भयावह साबित हो रही हैं। अयोध्या-फैजाबाद के बीच करीब आधा दर्जन स्थलों पर सरयू का पानी परिक्रमा मार्ग पर संक्रमित हो रहा है। गुप्तारघाट की सभी सीढि़यां डूब चुकी हैं और सरयू की धारा घाट के प्लेटफार्म से आगे बढ़ कर मंदिरों को छूने के लिए ललक रही है। रामघाट तट पर स्थित नारायणधाम बाढ़ से पूरी तरह घिर चुका है। संतों को आवागमन के लिए नाव का प्रयोग करना पड़ रहा है। अयोध्या-फैजाबाद बाईपास मार्ग पर भी बाढ़ का पानी दस्तक दे रहा है। रुदौली तहसील के ग्राम महंगूपुरवा, कैथी मांझा, कैथी सहित कई अन्य गांव भी बाढ़ की चपेट में हैं।एडीएम वित्त एवं राजस्व मदनचंद्र दुबे एवं एसडीएम गिरिजेश चौधरी मंगलवार को रुदौली क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांवों की हकीकत जानने पहुंचे। अफसरों के साथ बाढ़ खंड की टीम ने अनुरक्षण कार्य देखा। सरयू नदी के किनारे बसे महंगूपुरवा, संडरी, कैथी, सल्लाहपुर, अब्बूपुर आदि गांव का दौरा कर प्रशासनिक अफसरों ने पीड़ितों की समस्याएं सुनी। यहां पर लोग पलायन को मजबूर हैं। शनिवार से लगातार नदी का जल स्तर बढ़ रहा है। कैथी मांझा व मरौचा गांव के निवासी कटान के अंदेशे से अपनी गृहस्थी समेट कर रौनाही तटबंध के किनारे आपना आशियाना बना रहे हैं। कैथी मांझा के अब तक 12 घर सरयू में समा चुके हैं। मंहगू का पुरवा कटान के मुहाने पर है। यहां का रास्ता भी कट चुका है। एसडीएम ने बताया कि कटान तेज हो रही है, जल स्तर भी बढ़ रहा है। महंगूपुरवा में अलर्ट घोषित कर दिया गया है। कैथी मांझा में प्रशासन ने नाव लगाने के निर्देश दिए थे लेकिन अभी तक नाव नहीं लगाई गई। बाढ़ खंड के कर्मचारी बांस के कैरेट नदी में डाल कर महंगूपुरवा को बचाने की कवायद कर रहे हैं। बंधे व नदी के बीच बसे गांवों में विशेष निगरानी के निर्देश दिए गए हैं।
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चारे की दिक्कत
बाढ़ पीड़ितों के सामने मवेशियों के लिए चारे की दिक्कत आ गई है। पानी आ जाने के कारण हरा चारा बचा नहीं है। यहां पर मवेशी घास चरा करते थे पर अब घास पानी में डूब गई है। फसलें जलमग्न हैं। मवेशियों को रौनाही तटबंध पर बांधा जा रहा है।