गोमूत्र-गोबर सोने की खदान : राय
संसू अयोध्या विहिप के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने कारसेवकपुरम में आयोजित गोरक्षा प्रशिक्षण वर्ग के समापन अवसर पर चार प्रांतों के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा गो मांस को दुनिया में भेज कर पैसा कमाने का उद्देश्य नहीं होना चाहिए। गोवंश श्रद्धा का विषय है। गोवंश की उपयोगिता पैसों से नहीं तोली जा सकती। 1952 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गोरक्षा के लिए अभिया
अयोध्या : विहिप के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने कारसेवकपुरम में आयोजित गोरक्षा प्रशिक्षण वर्ग के समापन अवसर पर चार प्रांतों के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, गोमांस को दुनिया में भेज कर पैसा कमाने का उद्देश्य नहीं होना चाहिए। गोवंश श्रद्धा का विषय है। गोवंश की उपयोगिता पैसों से नहीं तौली जा सकती। 1952 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गोरक्षा के लिए अभियान चला कर दो करोड़ से अधिक लोगों का हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्रप्रसाद को दिया था। संघ के द्वितीय सरसंघचालक गुरु गोलवरकर ने कहा था, मरने से गाय की रक्षा होती हो तो मैं भी मर सकता हूं, परंतु ऐसा संभव नहीं है। इसलिए जिदा रह कर गो माता की रक्षा के लिए आंदोलन करना होगा।
उन्होंने कहा गाय के प्रति आध्यात्मिक व भावनात्मक ²ष्टि होनी चाहिए। गाय को केवल आर्थिक ²ष्टि से नहीं देखना चाहिए। विहिप उपाध्यक्ष ने कहा, गोमाता का मूत्र व गोबर सोने की खदान है। गो माता के अंदर सभी देवी-देवताओं का चलता फिरता मंदिर है। गाय की उपयोगिता पर अनुसंधान जरूरी है। गो रक्षा के लिए हिदू समाज को एकजुट होना पड़ेगा। इस दौरान क्षेत्रीय संगठन मंत्री अंबरीश सिंह, विहिप के केंद्रीय मंत्री व गोरक्षा विभाग के राष्ट्रीय संगठन मंत्री खेमचंद शर्मा, डॉ. गुरुप्रसाद सिंह, राधेश्याम मिश्र, वासुदेव पटेल, भोलानाथ मिश्र, काशी प्रांत के महामंत्री लालमणि तिवारी, दयाशंकर पांडेय, शैलेंद्र सिंह, हेमंत दुबे ने विचार रखे।