राम मंदिर के साथ मूल्यवान हो रही रामनगरी की जमीन
विकास योजनाओं के साथ सांस्कृतिक-आध्यात्मिक प्रकल्प के लिए वैयक्तिक अथवा संस्था के तौर पर जमीन चाहने वालों का लगा तांता
अयोध्या : राम मंदिर निर्माण की तैयारियों के साथ रामनगरी की संपूर्ण रज मूल्यवान होती जा रही है। सुदूर क्षेत्रों और प्रवासी भारतवंशियों तक में अयोध्या के प्रति अनुराग परिलक्षित हुआ है। ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो रामनगरी में ठौर चाहते हैं। सरकार ने भी राम मंदिर निर्माण के साथ रामनगरी को विश्व स्तर की पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने की तैयारी शुरू की है।
नव्य अयोध्या के लिए एक हजार एकड़, श्री राम एयरपोर्ट के लिए छह सौ एकड़ और भगवान श्री राम की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा के लिए दो सौ एकड़ भूमि अधिग्रहीत की जानी है। ऐसे में यूं भी रामनगरी में जमीन की संभावनाएं सिमट गयी हैं। ऊपर से रामनगरी में धर्मशाला, आध्यात्मिक-सांस्कृतिक केंद्र विकसित करने की इच्छा रखने वालों का दबाव। नगरी के आंतरिक मार्गों से लेकर निकटवर्ती क्षेत्र की कृषि योग्य भूमि खरीदने के लिए लोग देखे जा सकते हैं। बढ़ते नगरीकरण एवं भूमि के अधिकाधिक सदुपयोग की चेतना के चलते गत दशक से ही रामनगरी की भूमि के दाम बढ़ने लगे। इस बीच यह धारणा भी बलवती होती गयी कि राम मंदिर निर्माण की संभावना बनने पर रामनगरी की भूमि दुर्लभ हो जायेगी और गत माह पांच तारीख को राम मंदिर के लिए भूमि पूजन के बाद से यह सच बखूबी परिभाषित हो रहा है।
नगरी की मुख्य आंतरिक परिधि में तिल तक रखने की जगह नहीं है, ऐसे में यहां की जमीन के रेट का कहना ही क्या। परिधि के क्षेत्रों में कुछ खाली भूमि है। इसे ही गत वर्ष तक एक हजार से 1500 रुपये वर्ग फीट तक हासिल किया जा सकता था, अब इसकी कीमत दो से ढाई हजार रुपये प्रति वर्ग फीट तक पहुंच रही है। अधिवक्ता सुभाषचंद्र त्रिपाठी के अनुसार यह रुख बहुत स्वाभाविक है। अयोध्या और उसके आस-पास की भूमि का रकबा तो वही है, पर चाहने वालों में सरकार से लेकर अनगिनत लोग हैं। ऐसे में रामनगरी की जमीन का सोना बनना ही है।