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हम अयोध्या का पुरातन गौरव लौटा कर ही दम लेंगे : सीएम योगी आदित्यनाथ

मंदिर-मस्जिद विवाद की नियमित सुनवाई को लेकर मुख्यमंत्री उम्मीदजदा। मंदिर आंदोलन के पर्याय रहे रामचंद्रदास परमहंस को पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 03 Aug 2019 11:23 AM (IST)Updated: Sat, 03 Aug 2019 05:19 PM (IST)
हम अयोध्या का पुरातन गौरव लौटा कर ही दम लेंगे : सीएम योगी आदित्यनाथ
हम अयोध्या का पुरातन गौरव लौटा कर ही दम लेंगे : सीएम योगी आदित्यनाथ

अयोध्या, जेएनएन। छह अगस्त से रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की नियमित सुनवाई को लेकर उम्मीदजदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्वास जताया कि 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जो आदेश दिया था, सुप्रीमकोर्ट उसका परिमार्जन करने के साथ जनभावनाओं का सम्मान करेगा। वे मंदिर आंदोलन के पर्याय रहे रामचंद्रदास परमहंस को 16वीं पुण्य तिथि पर दिगंबर अखाड़ा में श्रद्धांजलि दे रहे थे। इसी के साथ ही मुख्यमंत्री ने रामनगरी से जुड़ी अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

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मुख्‍यमंत्री ने कहा, अयोध्या का पुरातन गौरव लौटा कर ही दम लेंगे। उन्होंने अयोध्या के कायाकल्प की ²ष्टि से संचालित विभिन्न विकास कार्यों का जिक्र करते हुए कहा, यह विकास कार्य राम मंदिर निर्माण की भूमिका सरीखे हैं। इसी के साथ ही उन्होंने अयोध्या के लिए किए जा रहे प्रदेश सरकार के प्रयासों की ओर इशारा किया और याद दिलाया कि दो वर्ष के अंदर ही अयोध्या के विकास का व्यापक प्रयास शुरू किया गया है। यहां के दीपोत्सव के प्रति दुनिया भर के भारतीयों ने आभार जताया है। इस जिला, नगर निगम और कमिश्नरी का नाम अयोध्या किया गया। यह सब कुछ परमहंस जैसे संतों की प्रेरणा से संभव हो रहा है।

इसी के साथ ही मुख्यमंत्री ने सबसे ऊंची प्रतिमा के रूप में भगवान राम की प्रतिमा के साथ प्रस्तावित म्यूजियम का भी जिक्र किया। कहा, हम चाहते हैं कि मनु से लेकर इक्ष्वाकु वंश के सभी राजाओं का म्यूजियम बने और भगवान राम के जीवन को डिजिटल माध्यम से अयोध्या आने वाले लोग देखें और उन्हें अनुभव करें। इससे पूर्व उन्होंने 275 लाख की लागत से निर्मित परमहंस रामचंद्रदास बहुद्देशीय हाल का बटन दबाकर लोकार्पण करने के साथ परमहंस के बारे में विचार व्यक्त किये। मुख्यमंत्री ने कहा, परमहंस का पूरा जीवन देश, धर्म और समाज के लिए समर्पित था, वे मंदिर आंदोलन के अग्रिम सेनापति थे और सन् 1949 में रामलला के प्रकटीकरण से लेकर 2003 में साकेतवास तक वे लगातार 54 वर्षों तक मंदिर आंदोलन के अग्रदूत बने रहे। योगी ने कहा, इतने लंबे समय तक किसी आंदोलन के साथ अविचल भाव से डटे रहना परमहंस जैसों के ही बस की बात थी, जिन्हें व्यक्तिगत पद-प्रतिष्ठा की च‍िंंता नहीं थी।

मुख्यमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकारों पर अयोध्या की उपेक्षा और छवि खराब करने का आरोप भी लगाया। इस दौरान मणिरामदास जी की छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद, जगद्गुरु वासुदेवाचार्य विद्याभास्कर, जानकीघाट बड़ास्थान के महंत जन्मेजयशरण, अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैयादास आदि ने भी विचार रखे। दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेशदास ने आभार ज्ञापित किया। संचालन रामकुंज कथामंडप के महंत रामानंददास ने किया।

इस मौके पर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य, जगद्गुरु डॉ. राघवाचार्य, उदासीन ऋषि आश्रम के महंत डॉ. भरतदास, बड़ा भक्तमाल के महंत अवधेशदास, दंतधावनकुंड पीठाधीश्वर महंत नारायणाचारी, निर्वाणी अनी अखाड़ा के महासचिव गौरीशंकरदास, महंत गिरीशदास, महंत शशिकांतदास, संत रामभूषणदास कृपालु आदि सहित महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, विधायक वेदप्रकाश गुप्त, रामचंद्र यादव एवं इंद्रप्रताप तिवारी खब्बू, जिला भाजपाध्यक्ष अवधेश पांडेय बादल, महानगर अध्यक्ष कमलेश श्रीवास्तव, राममंदिर के लिए अभियान चलाने वाले मुस्लिम नेता बब्लू खान,  डॉ. राजेशनाथ त्रिपाठी एवं आशुतोष ने मुख्यमंत्री का माल्यार्पण कर स्वागत किया।

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