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सीसी कैमरों की निगहबानी में होगा सिविल कोर्ट

कलेक्ट्रेट की फाइल शासन में अयोध्या : दीवानी न्यायालय तो सीसी कैमरों से लैस हो जाएगी, लेकिन कलेक्ट्रेट इससे अछूती रहेगी। इसकी वजह यहां सीसीटीवी लगाने का प्रस्ताव शासन में करीब चार साल से अटका पड़ा है। तत्कालीन जिलाधिकारी विपिन कुमार द्विेदी ने इसकी आवश्यकता जताते हुए संबंधित अधिकारियों बैठक की थी, जिसमें सीसीटीवी लगाने की जरूरत महसूस की गई थी। इसके लिए धन उपलब्ध कराने का प्रस्ताव उसी समय शासन में भेजा गया था। यह फाइल वहीं धूल खा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Dec 2018 10:57 PM (IST)Updated: Sat, 01 Dec 2018 10:57 PM (IST)
सीसी कैमरों की निगहबानी में होगा सिविल कोर्ट
सीसी कैमरों की निगहबानी में होगा सिविल कोर्ट

अयोध्या : कचहरी का सिविल कोर्ट जल्द ही सीसी कैमरों की निगहबानी में होगा। इसके लिए केबिल बिछाने का काम शुरू कर दिया गया है। आवश्यक उपकरण काफी पहले यहां भेजा जा चुके हैं। धन भी उपलब्ध कराया जा चुका है। जिला जज गिरिजेश कुमार पांडे ने यहां हो रहे कार्यों का शनिवार को जायजा लिया।

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23 नवंबर 2007 को हुए सीरियल ब्लास्ट व अयोध्या प्रकरण को देखते हुए कचहरी में बेहद संवेदनशील मानी जाती है। ब्लास्ट में पांच लोग मारे गए थे। इसके 2014 में दीवानी न्यायालय परिसर में हुए गैंगवार के बाद कचहरी में सीसीटीवी की मांग उठी थी। सीरियल ब्लास्ट के बाद कचहरी की सुरक्षा के लिए चारों तरफ 12-12 फीट ऊंची दीवार उठा दी गई। सिविल कोर्ट, कलेक्ट्रेट व बार एसोसिएशन के लिए दो-दो प्रवेश द्वार बना दिए गए। प्रवेश के सभी रास्तों में मेटल डिटेक्टर डोर फ्रेम लगा दिए गए, जहां पर पुलिस तैनात रहती है। अधिकारियों व पुलिस के वाहन ही अंदर जा सकते हैं। इसके बावजूद कचहरी की सुरक्षा मुकम्मल नहीं मानी जा रही थी।

सीसी कैमरों की निगहबानी में आने के बाद सिविल कोर्ट पर चप्पे पर नजर रखी जा सकेगी। उच्च शक्ति के सीसी कैमरे न्यायालयों के प्रवेशद्वार पर तथा परिसर के चिह्नित स्थानों पर लगाए जाएंगे। इनके अलावा मेटल डिटेक्टर व लगेज स्कैनर भी लगाया जाएगा, जो किसी भी संदिग्ध वस्तु को पकड़ लेगा। ----------------

कलेक्ट्रेट की फाइल शासन में -दीवानी न्यायालय तो सीसी कैमरों से लैस हो जाएगी, लेकिन कलेक्ट्रेट इससे अछूती रहेगी। यहां सीसीटीवी लगाने का प्रस्ताव शासन में करीब चार साल से अटका पड़ा है। तत्कालीन जिलाधिकारी विपिन कुमार द्विवेदी ने इसकी आवश्यकता जताते हुए संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जिसमें सीसीटीवी लगाने की जरूरत महसूस की गई। इसके लिए धन उपलब्ध कराने का प्रस्ताव उसी समय शासन में भेजा गया।


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