आउटसोर्सिंग के नाम पर नगर निगम को आर्थिक चोट
करार देते हुये लेखाधिकारी से जबाब भी तलब किया है। कर्मियों को इपीएफ व इएसएल के भुगतान की जानकारी मांगी है। स्किल्ड व हाई स्किल्ड लेबर के निर्धारण का आधार पूछा। लेखाधिकारी को भेजे गये पत्र में प्योर लेबर सप्लाई पर जीएसटी के भुगतान की जानकारी भी लेखाधिकारी को दी। उन्होंने इस मद में हुये अब तक के भुगतान की जानकारी भी मांगी है। हालांकि सूत्र बताते है कि जब से जीएसटी लगा तब से ही इन कर्मियों के मानदेय का भुगतान जीएसटी लगाकर ही किया जाता रहा। नगर आयुक्त आरएस गुप्ता ने मामले की जांच के बाद कार्रवाई की बात कही।
अयोध्या : नगर निगम के लेखाधिकारी कार्यालय ने संस्थान चपत लगाई है। आउटसोर्सिंग के कर्मियों के मानदेय के साथ ही नियम से परे 18 फीसद जीएसटी का भुगतान कर दिया। ये ठेकेदार को किया गया है। इस मद का भुगतान जीएसटी मुक्त है। धनराशि सेवा प्रदाता संस्था सीएलसी को किया गया है। इससे नगर निगम को आर्थिक चोट पहुंची है। महापौर ऋषिकेश के निर्देश के बाद इसकी जांच शुरू हो गई है।
इन दिनों निगम के सेवा कार्यों में तकरीबन एक हजारकर्मी आउट सोर्सिंग से रखे गए हैं। अलग-अलग विभाग में सफाईकर्मी, पंप संचालन के साथ ही अन्य क्षेत्रों में आउट सो¨सग के जरिये ठेकेदार ने कर्मियों की सप्लाई की हैं। निगम ठेकेदारों को मानदेय का भुगतान करता है। महापौर ऋषिकेश उपाध्याय ने इसके जांच की आदेश दिया तो मुख्य नगर लेखा परीक्षक ने पड़ताल शुरू कर दी। भुगतान को नियम विरुद्ध करार देते हुए लेखाधिकारी से जवाब भी तलब किया है। कर्मियों को इपीएफ व इएसएल के भुगतान की जानकारी मांगी है। स्किल्ड व हाई स्किल्ड लेबर के निर्धारण का आधार पूछा। लेखाधिकारी को भेजे गये पत्र में प्योर लेबर सप्लाई पर जीएसटी के भुगतान की जानकारी भी लेखाधिकारी को दी। उन्होंने इस मद में हुए अब तक के भुगतान की जानकारी भी मांगी है। सूत्र बताते हैं कि जब से जीएसटी लगा तब से इन कर्मियों के मानदेय का भुगतान जीएसटी लगाकर ही किया जाता रहा। नगर आयुक्त आरएस गुप्त ने मामले की जांच के बाद कार्रवाई की बात कही।