लॉकडाउन में संवर रही उधैला झील
मिल्कीपुर (अयोध्या) लॉकडाउन में एक ओर जहां मनरेगा श्रमिकों के लिए रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम बनी है तो वहीं इसमें होने वाले काम झीलों का भी सौंदर्य लौटा रहे हैं। उधैला झील भी इसी में एक है। पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं और उधैला झील के सुंदरीकरण में जुटी हैं।
मिल्कीपुर (अयोध्या) लॉकडाउन में एक ओर जहां मनरेगा श्रमिकों के लिए रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम बनी है तो वहीं इसमें होने वाले काम झीलों का भी सौंदर्य लौटा रहे हैं। उधैला झील भी इसी में एक है। पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं और उधैला झील के सुंदरीकरण में जुटी हैं। अमानीगंज रोड पर करीब 75 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली उधैला झील का सुंदरीकरण गत वर्ष मार्च माह में शुरू हुआ था, लेकिन झील में पानी भरने से सफाई का काम बीच में ही अटक गया। लॉकडाउन के बाद ग्रामवासियों के सामने रोजी रोटी का संकट भी खड़ा हो गया। शहर व अन्य प्रांतों में जाकर काम कर वाले बेरोजगार हो गए। लॉकडाउन के बाद वापस आए लोगों के लिए मनरेगा रोजगार का जरिया बन गई है।
पांच ग्राम पंचायतों के बीच स्थित उधैला झील के सुंदरीकरण में ग्रामीणों को 14-14 दिन का रोजगार दिया गया। मौजूदा वक्त में झील के किनारे तीन मीटर चौड़ी खाई की पटाई की जा रही है। काम के दौरान एक-दूसरे से शारीरिक दूरी का खास ख्याल रखा जाता है। श्रमिकों के हाथ धुलवाने के लिए पानी व सैनिटाइजेशन की भी व्यवस्था की गई है। निश्चित अंतराल पर श्रमिकों का हाथ धुलाया जाता है। ग्राम प्रधान पुष्पा देवी बताती हैं कि कोरोना के मद्देनजर मेडिकल प्रोटोकॉल का पूरा ख्याल रखा जाता है। श्रमिकों को काम देने के लिए प्रधान खुद भी उनसे संपर्क करती हैं।