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जज्बे से जीत रहे बाढ़ से जंग

तख्त पर पिहान पिहान पर जल रहा चूल्हा

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2020 11:23 PM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2020 11:23 PM (IST)
जज्बे से जीत रहे बाढ़ से जंग
जज्बे से जीत रहे बाढ़ से जंग

अयोध्या : सरयू नदी के टापू पर बसा कैथी मांझा गांव। गांव में बाढ़ का पानी ठहरा हुआ है। यहां की रहने वाली सुनीता तख्त पर बने पिहान पर चूल्हा रखकर किसी तरह भोजन बना रही है। बाहरी व्यक्तियों को देखते ही घूंघट की ओट से कहती हैं कि बाढ़ में खाना बनाना मुश्किल जरुर है, लेकिन सब सरयू माई की कृपा से ही भोजन नसीब होता है। यह रोजमर्रा की इनकी जिदगी है। सुनीता के ससुर राजाराम कहते हैं कि बस जिदगी चल रही है। अब पानी घट रहा है, बस दोबारा पानी न बढ़ जाए। गीली लकड़ियों के सहारे जब सुनीता चूल्हे में फूंक मार मार कर भोजन पकाती है, तो इन मुश्किल दौर में भी उसका जज्बा देखने लायक है। यह जज्बा महज सुनीता का नहीं गांव में रहने वाले 73 परिवार के हर सदस्य का है। तमाम झंझावतों को झेलते हुए भी माटी से मोह ये छोड़ नहीं पा रहे है। अपने जज्बे से हर वर्ष बाढ़ से जंग जीतते हैं। सरयू का जलस्तर खतरे के निशान से भले ही नीचे आ गया है लेकिन अभी भी प्रभावितों की मुश्किलें कम नहीं हुई। बाढ़ का पानी कम जरूर हुआ है पर निचले भागों में पानी जमा है।

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रुदौली तहसील के सात गांव के 510 बाढ़ पीड़ित बाढ़ का दंश झेल रहे है। सर्वाधिक मुश्किल कैथी मांझा गांव की है। यहां पर सरयू की लहरों में 73 परिवारों जिदगी फंसी है। सरकार की तरफ से वितरित की गई राशन सामग्री ही इनका सहारा है। पीड़ित श्रीदत्त व शिवकुमार कहते हैं कि लगभग एक दर्जन से अधिक बाढ़ प्रभावितों का राशन कार्ड भी नहीं बना है। अब अगर जलस्तर फिर बढ़ा तो मुश्किलें अधिक बढ़ेगी। एसडीएम बिपिन सिंह ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों को दो बार राशन दिया जा चुका है। पानी काफी घट चुका है। फिर भी राजस्वकर्मी लगातार कैंप कर रहे है। अंधेरे में गुजर रही रातें

बाढ़ प्रभावित गांवों अब्बू पुर, सराय नासिर, मुजेहना, सल्लाह पुर, महंगूपुरवा, कैथी मांझा में इस बार केरोसिन ऑयल का वितरण नहीं हुआ है। केरोसिन न मिलने से बाढ़ पीड़ितों की अंधेरे में रातें कट रही है। विद्युत व्यवस्था की पोल मंडलायुक्त के निरीक्षण में खुल ही चुकी है। बारिश, कोरोना व बाढ़ : बाढ़ पीड़ितों के लिए इस वर्ष की बाढ़ काफी मुश्किल भरी रही। बाढ़ तो हर वर्ष आती है लेकिन इस वर्ष बाढ़ के साथ साथ कोरोना से भी प्रभावितों को जंग लड़ना पड़ा। बारिश का कहर अलग से झेलना पड़ा। बाढ़ प्रभावितों का कहना है कि बारिश भी बहुत हुई। कोरोना की जंग होली से ही शुरू हुई। बाढ़ आने से पहले ही यहां पर प्रभावित अपनी तैयारी कर लेते थे लेकिन इस बार लॉक डाउन के चलते तैयारी भी नहीं कर पाए। व्यापार भी प्रभावित हुआ।


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