विश्वगुरु के रूप में पुनस्र्थापित हो भारत : कानितकर
अयोध्या : सनातन संस्कृति मृत्युंजय है। यह समाप्त नहीं हो सकती। भारतीय शिक्षण मंडल परिपूर्ण मन
अयोध्या : सनातन संस्कृति मृत्युंजय है। यह समाप्त नहीं हो सकती। भारतीय शिक्षण मंडल परिपूर्ण मनुष्य एवं समग्र शिक्षा प्रदान करने वाले गुरुकुल की स्थापना के लिए संकल्पित है, जिससे भारत को पूरे विश्व मे पुन: विश्वगुरु के रूप में पुनस्र्थापित किया जा सके। यह विचार भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीयमंत्री मुकुल कानितकर के हैं। अशर्फीभवन के माधव सभागार में आयोजित आचार्य सम्मेलन में उन्होंने बताया कि शिक्षण मंडल आगामी पांच वर्षों में पांच सौ सुयोग्य, निष्ठावान, बहुआयामी प्रतिभा संपन्न आचार्यों को तैयार करेगा, जो पूरी दुनिया मे युगानुकूल गुरुकुलों की स्थापना करेंगे।
सम्मेलन में मणिरामदासजी की छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास ने भारतीय संस्कृति की वर्तमान दिशा और दशा पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, सिर्फ बातों से सनातन संस्कृति की रक्षा नहीं हो सकती। रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास ने कहा, पूरी दुनिया में जो संदेश गया है वह अयोध्या की धरती से गया है। युगानुकूल गुरुकुल के रूप में भी अयोध्या अपनी पहचान से न्याय करने को तैयार है। उन्होंने मुकुल कानितकर के प्रयास को सराहनीय बताया। अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने कहा, भारतीय शिक्षण मंडल की ओर से युगानुकूल गुरुकुल की स्थापना का प्रयास शुरू किया गया है, जो भारत को विश्वगुरु की प्रतिष्ठा दिलाने में सहायक सिद्ध होगा। भारतीय शिक्षण मंडल के डॉ. दिलीप ¨सह ने अतिथियों का परिचय कराया। संचालन आचार्य रघुनाथदास त्रिपाठी ने किया। सम्मेलन में भाजपा नेता अभिषेक मिश्र, प्रो. आरके ¨सह, प्रो. आरएन राय, आचार्य अजय मिश्र, कमलेश ¨सह, ओमप्रकाश ¨सह, अंकित तिवारी, विवेक आदि उपस्थित रहे।