Move to Jagran APP

धर्मसभा से इतर मंदिरों में दर्शन को उमड़े लोग, अयोध्या ने ली राहत की सांस

अयोध्या में लाखों लोगों की जुटान के दावे थे। इसीलिए नागरिकों के साथ प्रशासन और सुरक्षा बल भी वर्ष 1992 जैसे हालात बनने को लेकर आशंकित थे।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 25 Nov 2018 08:10 PM (IST)Updated: Sun, 25 Nov 2018 09:54 PM (IST)
धर्मसभा से इतर मंदिरों में दर्शन को उमड़े लोग, अयोध्या ने ली राहत की सांस
धर्मसभा से इतर मंदिरों में दर्शन को उमड़े लोग, अयोध्या ने ली राहत की सांस

जेएनएन, अयोध्या। खुफिया एजेंसियों से लेकर विभिन्न संगठनों के दावे तो अयोध्या में लाखों लोगों की जुटान के थे। इसीलिए अयोध्या के नागरिकों के साथ प्रशासन और सुरक्षा बल भी वर्ष 1992 जैसे हालात बनने को लेकर आशंकित थे लेकिन, रविवार को सारी आशंकाएं निर्मूल साबित हुईं। रविवार दोपहर निर्धारित समय से एक घंटा पहले धर्मसभा समाप्त होने के कुछ देर बाद जब लोग धीरे-धीरे वापस होने लगे तो समूची अयोध्या ने जैसे चैन की सांस ली।

loksabha election banner

जुटान से अल्पसंख्यक वर्ग आशंकित था 

विश्व हिंदू परिषद की धर्मसभा में जहां रविवार को तीन लाख लोगों के शामिल होने का दावा किया जा रहा था, वहीं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के कार्यक्रम में भी 50 हजार शिवसैनिकों के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही थी। शनिवार को उद्धव ठाकरे जब सरयू किनारे आरती कर रहे थे, तब उनके साथ कुछ हजार शिवसैनिक ही नजर आ रहे थे। हालांकि कुछ शिवसैनिक कई दिनों से अयोध्या में जमे थे और माहौल बना रहे थे। इसी से लोग और खास तौर पर अल्पसंख्यक वर्ग आशंकित था कि लोगों की भारी जुटान कहीं माहौल न बिगाड़ दे।

धर्मसभा पर भी देश-दुनिया की निगाहें 

इसी तरह राम जन्म भूमि के पास आयोजित धर्मसभा पर भी देश-दुनिया की निगाहें टिकी थीं। अयोध्या के निवासी नईमुल कहते हैं कि अयोध्या में सदियों से हिंदू-मुसलमान एक साथ रहते आए हैं, इसलिए यहां के निवासियों को एक-दूसरे से कोई भय-आशंका नहीं है लेकिन, बाहर से आने वाले लोग एक खास उद्देश्य से आते हैं और यहां की आपसी समरसता को समझे बिना कुछ ऐसा कर जाते हैं, जो समस्या खड़ी कर देता है।गनीमत रही कि शिवसेना के आयोजन और धर्मसभा में ऐसा कुछ नहीं हुआ।

 हनुमान गढ़ी व अन्य मंदिरों में दर्शन 

शनिवार और रविवार के आयोजन निपटने के बाद अयोध्या के निवासी सुकून में थे। उधर बड़ी संख्या में जो लोग दोनों या किसी एक आयोजन में शामिल होने आए थे, उनमें भी बड़ी संख्या ऐसे लोगों की थी जिन्होंने उसी दौरान मुख्य आयोजनों से हटकर राम जन्म भूमि या हनुमान गढ़ी सहित अन्य मंदिरों के दर्शन किए। यही वजह थी राम जन्म भूमि में सामान्य दिनों में जहां चार-पांच हजार दर्शनार्थी जाते हैं, वहीं रविवार को यह संख्या दस गुना से अधिक पहुंच गई।

धर्मसभा में पहुंचने वालों में भी बहुत से लोग सभा स्थल के बाहर नजर आए। किसी ने टेंट के पीछे छांव में चादर बिछाकर नींद पूरी की तो कई लोग आपसी विमर्श में ही व्यस्त रहे। हालांकि धर्मसभा समाप्त होने के बाद अयोध्या से चली बसों और निजी वाहनों की अंतहीन कतार बता रही थी कि तैयारी इस बार भी जबरदस्त थी लेकिन 26 साल पहले जैसा जोश नहीं था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.