Ayodhya Ram Temple News: रस और अलंकारों की परिधि से परे अयोध्या
Ayodhya Ram Temple News आनंदमग्न इस नगरी को बस अब प्रधानमंत्री मोदी के आगमन का इंतजार।
अयोध्या [नवनीत श्रीवास्तव]। Ayodhya Ram Temple News: यह पांच सदी तक अनिश्चितता में डूबी वो अयोध्या नहीं, जो अपना खोया गौरव पाने की प्रतीक्षा में पत्थर सदृश हो गई थी। यह नई अयोध्या है। इसके कण-कण में हर्ष और आनंद का वह अहसास है, जिसमें पाषाण भी प्राणवान प्रतीत हो रहे हैं। यहां रसों की सीमा से परे हर ओर राम नाम का रसपान हो रहा है। नगर का दिव्य शृंगार अलंकारों के भी पार पहुंच चुका है। आनंदमग्न इस नगरी को बस अब प्रधानमंत्री मोदी के आगमन का इंतजार है, जिनके साथ सदियों बाद रामनगरी की समृद्ध विरासत का गौरव भी लौटकर आ रहा है।
इस अहसास से पूरा नगर पुलकित है। साकेत महाविद्यालय हो या रानोपाली, शृंगारहाट जाएं चाहे नयाघाट, हर जगह ऐसा ही नजारा है। सुबह, दोपहर और शाम गली-गली और घर-घर से गूंजता रामनाम एक पल के लिए समाधिस्थ कर देता है। कहीं भी निगाह जाती है तो पूरे जा रहे चौक, सज रहे मंगल कलश और दीपमालाएं दिख जाती हैं। कभी शाम ढलते ही सन्नाटे में सो जाने वाला नगर आज देर शाम को भी जीवंत है। अंधेरा घिर चुका है, लेकिन कारसेवकपुरम की साज-सज्जा में कारीगर व्यस्त हैं। पूछते ही कहते हैं, अभी बहुत काम बाकी है। तीन अगस्त तक न्यास कार्यशाला को फूलों और झालरों से पूरी तरह सजाना है।
दूधिया रोशनी में सामने चमचमाती रामशिलाओं पर नजर जाती है। 28 वर्ष से राममंदिर का हिस्सा बनने की बाट जोहती ये शिलाएं सफाई के बाद फिर से जीवंत हो उठी हैं। थोड़ी दूरी पर सरस्वती शिशु मंदिर, रानोपाली में पांच अगस्त को नगर की सड़कों की रौनक बढ़ाने के लिए कलश सजाए जा रहे हैं। इन्हें तैयार कराने में जुटे अयोध्या महोत्सव न्यास के अध्यक्ष हरीश श्रीवास्तव कहते हैं, पांच सदी के सबसे सौभाग्यशाली लोगों को रामजन्मभूमि पर भव्य राममंदिर का निर्माण देखने का अवसर मिल रहा है। फिर हम तो गौरवशाली अयोध्या के ही वासी हैं। जितना प्रेम हम अयोध्यावासी अपने राम से करते हैं, उतना ही राम जी अयोध्यावासियों से। रामचरितमानस में स्वयं भगवान ने कहा भी है.., 'अति प्रिय मोहि इंहा के बासी, मम धामदा पुरी सुख रासी।'
आकर्षक वास्तु का नमूना
नेपाली मंदिर रानी की आस्था का केंद्र होने के साथ आकर्षक वास्तु का नमूना भी है। ऊंचे टीले पर स्थापित भगवान कूर्मनारायण का मंडप सामने वाले में आस्था का सहज संचार करता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 40 सीढिय़ां चढऩी पड़ती हैं। मंदिर अतिथि गृह और गोशाला से भी युक्त है।