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राम मंदिर निर्माण के लिए 21 फरवरी को अयोध्या कूच की तैयारियां, अविमुक्तेश्वरानंद पहुंचे

21 फरवरी को राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या कूच का एलान करने वाले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के दूत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मंगलवार को अयोध्या पहुंच गए।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 05 Feb 2019 10:08 PM (IST)Updated: Tue, 05 Feb 2019 10:08 PM (IST)
राम मंदिर निर्माण के लिए 21 फरवरी को अयोध्या कूच की तैयारियां, अविमुक्तेश्वरानंद पहुंचे
राम मंदिर निर्माण के लिए 21 फरवरी को अयोध्या कूच की तैयारियां, अविमुक्तेश्वरानंद पहुंचे

अयोध्या, जेएनएन। 21 फरवरी को राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या कूच का एलान करने वाले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के दूत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मंगलवार को अयोध्या पहुंच गए। उन्होंने जानकीघाट बड़ा स्थान में कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर समर्थक संतों से मुलाकात की। उनके गुरुवार को भी अयोध्या के चुनिंदा धर्माचार्यों से मुलाकात की उम्मीद है। मंदिर निर्माण को लेकर विहिप की दावेदारी से इतर स्वामी स्वरूपानंद रामालय ट्रस्ट के माध्यम से अपना दावा ठोंकते रहे हैं। उन्होंने कुंभ में आयोजित एक कार्यक्रम में 21 फरवरी को मंदिर के शिलान्यास के लिए अयोध्या कूच का एलान कर रखा है। इसके लिए वह 20 फरवरी को ही अयोध्या पहुंचेंगे। शंकराचार्य के कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अयोध्या पहुंचकर आंदोलन को जनांदोलन बनाने का ताना-बाना बुना।

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स्वरूपानंद एवं नरेंद्र गिरि के एलान से खेमेबाजी

मंदिर आंदोलन के फलक पर संतों को साधे रखने की चुनौती खड़ी हो रही है। यूं तो विहिप और उसके समर्थक संत मंदिर आंदोलन के प्रतिनिधि माने जाते हैं पर लोस चुनाव की पूर्व बेला में मंदिर के कुछ और दावेदार सामने आ रहे हैं। ऐसे दावेदारों में द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद एवं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि हैं। इन दोनों धर्माचार्यों ने विहिप के प्रयासों से इतर मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या कूच का एलान कर रखा है। घोषणा के अनुसार स्वामी स्वरूपानंद 21 फरवरी को तथा नरेंद्र गिरि चार मार्च को अयोध्या आएंगे। इसी के साथ ही धर्माचार्यों की खेमेबाजी मुखरित होगी। जहां तक स्वामी स्वरूपानंद का सवाल है, वह स्वयं संतों की गुटबाजी के परिचायक रहे हैं। शंकराचार्य पद को लेकर उनका स्वामी वासुदेवानंद से विवाद जगविदित है। ...तो कांग्रेस आलाकमान से उनकी नजदीकी भी किसी से छिपी नहीं है। जिस अयोध्या में वह 21 फरवरी को मंदिर निर्माण के दावे के साथ दाखिल होंगे, वहां भी उनके समर्थकों का टोटा है। 

मंदिर निर्माण से जुड़ी ताजा कोशिश 

अयोध्या के अधिसंख्य धर्माचार्य विहिप और रामजन्मभूमि न्यास के साथ हैं। कुछ तटस्थ हैं पर वे स्वरूपानंद के साथ जाएंगे, इसमें संदेह है। ऐसे में यह अनुमान लगाना कठिन नहीं है कि मंदिर निर्माण से जुड़ी उनकी ताजा कोशिश संतों को एक मंच पर लाने से कहीं अधिक विहिप के लिए चुनौती पेश करने तक होगी। संतों के बीच आम स्वीकृति की बुनियाद पर नरेंद्र गिरि का दावा भी बहुत चमकदार नहीं है। तीन साल पूर्व अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष बनने के बाद वे तीन-चार बार रामनगरी का दौरा कर चुके हैं पर उनके किसी भी दौरे में यह नहीं प्रतीत हुआ कि यहां के संत उन्हें शीर्ष धर्माचार्य के तौर पर शिरोधार्य करते हैं। हनुमानगढ़ी से जुड़े निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्मदास को छोड़कर उन्हें वैयक्तिक तौर पर समर्थन देने वाले कितने स्थानीय संत मिलेंगे, यह देखना भी दिलचस्प होगा। अदालत में राममंदिर के पैरोकार एवं नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास के अनुसार ऐसी घोषणाएं स्वयं को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए हैं पर उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि इससे देश में संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है। 


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