छह दिसंबर पर सुरक्षाकर्मियों की सख्त निगरानी में शांत रही अयोध्या
छह दिसंबर पर रामनगरी पूरी तरह शांत रही। आम जिंदगी अपनी रवानी में दिखी। अयोध्या की जनता के बीच न ढांचा ढहने पर गर्व दिखा और न गम की छटपटाहट।
फैजाबाद (जेएएनएन)। छह दिसंबर पर रामनगरी पूरी तरह शांत रही। आम जिंदगी अपनी रवानी में दिखी। अयोध्या की जनता के बीच न तो विवादित ढांचा ढहने पर गर्व दिखा और न ही गम की छटपटाहट। दिख रहा था तो अमन चैन और सुनाई पड़ रही थी तो बस सरयू की कल-कल करती धारा की ध्वनि, राम-राम और अजान। कोई सशंकित कर रहा था तो बह थी सुरक्षाबलों के बूटों की धमक, जिसे अयोध्या पांच दिसंबर की शाम से ही सह रही थी। सुरक्षा और पाबंदियों के बीच अपने वाङ्क्षशदों को जूझते देख भी रामनगरी धौर्य बांधे रही। मानो कह रही हो कि उसे अब अमन चाहिए।
धर्मस्थलों के पास विशेष सतर्कता
अयोध्या-फैजाबाद शहर सुरक्षा प्रबंधों में जकड़े रहे लेकिन, माहौल में कतई उत्तेजना नहीं दिखी, चेकिंग के बाद ही वाहनों को रामनगरी में प्रवेश दिया गया। परंपरागत गम और शौर्य दिवसों को लेकर धर्मस्थलों के पास विशेष सतर्कता रही। परस्पर विरोधी आयोजनों के दौरान दोनों समुदायों के लोग विवादित ढांचें की बातों के साथ सौहार्द और भाईचारा बनाए रखने पर पूरी तरह केंद्रित दिखे। ढांचा विध्वंस की बरसी पर अयोध्या के हालात पर नजर रखने के लिए जिलाधिकारी डॉ. अनिल कुमार, एसएसपी सुभाष बघेल, एसपी सिटी अनिल कुमार सिंह प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के साथ रामनगरी में मौजूद रहे।
सरयू की भी रही निगरानी
छह दिसंबर पर सरयू नदी की भी निगरानी के इंतजाम रहे। नदी में गश्त के लिए पुलिस टीमें लगाई गई थीं। फैजाबाद में सरयू के घाटों पर कई चरणों में चेकिंग अभियान चलाकर श्रद्धालुओं के सामान व घाट की तलाशी ली गई। निगरानी के लिए कमांडो दस्ता भी तैनात रहा। अधिगृहीत परिसर, कनक भवन, हनुमानगढ़ी सहित प्रमुख मंदिरों की ओर से जाने वाले रास्तों पर सुरक्षाकर्मियों की रोकटोक का सामना लोगों को करना पड़ा। बाबरी के मुद्दई रहे मरहूम हाशिम अंसारी और हाजी महबूब के आवास के बाहर सुरक्षाकर्मियों के साथ-साथ मीडियाकर्मियों का जमावड़ा रहा। अयोध्या में हर कोने से शांति का संकेत ही मिला। फैजाबाद शहर की चिंता भी थी इसलिए दोपहर बाद अधिकारियों का काफिला उधर निकल पड़ा।