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ंअविवि का रोबोट 'नाव' अभिवादन में कहता जय श्रीराम

अयोध्या अविवि इंजीनियरिग कॉलेज के विद्यार्थियों ने विवि का पहला रोबोट तैयार किया नाम है नाव। रोबोट ने रविवार को समाप्त हुई अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में आए अतिथियों का न केवल स्वागत किया बल्कि डांस कर ताली भी बटोरी। खास बात यह है कि लोगों के अभिवादन में रोबोट जय श्रीराम कहता है। तीन बार जय श्रीराम बोलने के बाद वंदेमातरम से बात समाप्त करता है। अगल-बगल से आवाज आने पर नाव गर्दन घुमा कर देखता भी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 10:32 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 06:21 AM (IST)
ंअविवि का रोबोट 'नाव' अभिवादन में कहता जय श्रीराम
ंअविवि का रोबोट 'नाव' अभिवादन में कहता जय श्रीराम

अयोध्या : अविवि इंजीनियरिग कॉलेज के विद्यार्थियों ने विवि का पहला रोबोट तैयार किया, नाम है 'नाव'। रोबोट ने रविवार को समाप्त हुई अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में आए अतिथियों का न केवल स्वागत किया, बल्कि डांस कर ताली भी बटोरी। खास बात यह है कि लोगों के अभिवादन में रोबोट, जय श्रीराम कहता है। तीन बार जय श्रीराम बोलने के बाद वंदेमातरम से बात समाप्त करता है। अगल-बगल से आवाज आने पर नाव गर्दन घुमा कर देखता भी है। आने वाले दिनों में यह ह्यूमन रोबोट कैंपस की साफ सफाई करता नजर आएगा। कार्यक्रमों का संचालन करता भी दिखेगा। इस मिशन को पूरा करने के लिए शिक्षकों के निर्देशन में छात्रों की एक टीम 'नाव' को लगातार अपडेट कर रही है। प्रोग्रामिग पायथन भाषा में छात्रों ने अल्प संसाधन में रोबोट की पायथन लैंग्वेज में प्रोग्रामिग की। इसके बाद कमांड देकर मनचाहा कार्य कराने का प्रयोग किया, जो सफल रहा। रोबोट को कोरियाग्राफ साफ्टवेयर से कनेक्ट किया गया। इसी की सहायता से रोबोट की प्रोग्रामिग की जाती है। इस कार्य को बीटेक इलेक्ट्रानिक्स थर्ड ईयर के छात्र मो. अमन की टीम ने किया है। इसमें सुधांशु मिश्रा, सपना पांडेय, जाह्नवी दीक्षित, ज्योति, इशिका व माधवी मिश्रा शामिल हैं। पहले लिखी गई तीन मिनट की स्क्रिप्ट

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मौका था अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन का। इसके लिए तीन मिनट की स्क्रिप्ट तैयार की गई। रोबोट को क्रियाशील करने में शिक्षक रमेशचंद्र मिश्र , परिमल त्रिपाठी व विनीत सिंह ने छात्रों का मार्गदर्शन दिया।

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वीसी ने कहा हेलो नाव..

कुलपति प्रो. दीक्षित ने बुलाया हेलो नाव, इस पर रोबोट बोल पड़ा. हेलो रिस्पेक्टेड वाइस चांसलर सर, वेलकम इन कान्फ्रेंस। छात्र मो. अमन बताते हैं कि तीन मिनट के लिए तीन माह से मेहनत हो रही थी। प्रयोग धरातल पर उतरा और हम सबको खुशी मिली।


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