समन्वयक ने शिक्षक बेटे से लिखा दी किताब
फैजाबाद : डॉ.राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में एक और चौंकाने वाला प्रकरण सामने आया ह
फैजाबाद : डॉ.राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में एक और चौंकाने वाला प्रकरण सामने आया है। ये ¨हदी विषय के पाठ्यक्रम परिवर्तन व इसी आधार पर किताब लेखन से जुड़ा है। इसके अंतर्गत ¨हदी विषय के समन्वयक (संयोजक) डॉ. प्रभाकर मिश्र ने अपने शिक्षक बेटे डॉ.आशुतोष को न सिर्फ वरीयता दी बल्कि उनसे एक बुक लिखवा ली, जबकि ¨हदी के तमाम सीनियर व योग्य शिक्षकों को किताब लेखन से दूर रखा गया। इतना ही नहीं बेटे के साथ ही डॉ. मिश्र ने करीबियों व संबंधियों पर भी कृपा बरसाई है।
किसान पीजी कॉलेज बभनान के प्राचार्य डॉ. प्रभाकर मिश्र को अवध विवि प्रशासन ने ¨हदी विषय का समन्वयक बनाया। उन्होंने पाठ्यक्रम समिति की बैठककर यूजी व पीजी स्तर पर पाठ्यक्रम में परिवर्तन कर दिया। एक-एक कर बदले पाठ्यक्रम पर पाठ्यपुस्तक तैयार करने की जिम्मेदारी शिक्षकों को दी गई। चौंकाने वाली बात यह है कि डॉ. प्रभाकर मिश्र के बेटे डॉ. आशुतोष मिश्र को किताब लेखन में वरीयता दी गई। बीए प्रथम वर्ष के लिए अनुमोदित एवं अधिकृत पाठ्यपुस्तक एकांकी निकुंज के लेखन की जिम्मेदारी सौंपी गई। डॉ.आशुतोष महामाया राजकीय महाविद्यालय श्रावस्ती में तैनात हैं। उन्होंने ये पुस्तक इंदिरा गांधी महाविद्यालय गौरीगंज अमेठी की डॉ. रेखा श्रीवास्तव के साथ मिलकर लिखा, इसका प्रकाशन अयोध्या के भवदीय प्रकाशन ने किया।
यह किताब नौ जुलाई गत 2017 में तैयार हो गई। विशेषज्ञों का कहना है कि समन्वयक ने पुत्र को किताब लेखन की जिम्मेदारी देते वक्त न तो पारदर्शिता बरती गई और न ही नैतिक तकाजे का ख्याल रखा गया। सवाल उठाए गए कि जब पिता के कक्ष निरीक्षक व परीक्षा नियंत्रक रहते पाल्य परीक्षा नहीं दे सकता तो समन्वयक पिता के रहते हुए पुत्र को लाभ का कार्य कैसे दिया जा सकता है। -------------------
बोले समन्वयक
-¨हदी विषय के समन्वयक डॉ. प्रभाकर मिश्र का कहना है कि ये निर्णय पाठ्यक्रम समिति का है। मैने पुत्र डॉ. आशुतोष मिश्र के लिए किताब लेखन की जिम्मेदारी देने का प्रस्ताव तक नहीं किया। उन्होंने कहा कि किताब लेखन का कार्य उसी को दिया जाता है, जिसमें लेखकीय क्षमता होती है। यूजीसी के निर्देश एवं प्रतियोगी परीक्षाओं के आलोक में व्यापक छात्रहित के मद्देनजर विषय को अपग्रेड करने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव होता रहा और गत वर्ष भी समिति के निर्णय के अनुसार पाठ्यक्रम बदला है। बीए की किताब समय से आ गई थी और एमए की सिर्फ एक किताब देर से आई। इस बार मैथलीशरण गुप्त के वारिस ने लीगल नोटिस देकर प्रकाशन व वितरण पर रोक लगाई, इसी वजह से देरी हुई। दो से तीन दिन बाजार में किताब आ जाएगी। कहा कि खास को जिम्मेदारी देने की बात गलत है।