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न ऑडिट आपत्ति का निस्तारण, न शासकीय धनराशि की वसूली

लेकर जिला लेखा परीक्षा अधिकारी सहकारी समितियां एवं पंचायतें कार्यालय में घूमते मिलेंगे। सेवानिवृत्त कर्मचारी के अनुसार लंबित आपत्ति वित्तीय वर्ष 2016-17 की है। निस्तारित कराने के लिए अब बिल बाउचर वह जुटाने में लगे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 10:32 PM (IST)Updated: Mon, 02 Dec 2019 10:32 PM (IST)
न ऑडिट आपत्ति का निस्तारण, न शासकीय धनराशि की वसूली
न ऑडिट आपत्ति का निस्तारण, न शासकीय धनराशि की वसूली

अयोध्या : ऑडिट आपत्तियां निस्तारित करने के लिए 60 दिन की अवधि है। 60 दिन तो दूर पांच वर्ष तक पंचायत सचिव आपत्तियां निस्तारित नहीं करते। कई पंचायत सचिव तो बिना आपत्तियां निस्तारित किए ही सेवानिवृत्त हो गए। कई रिटायर होने के कगार पर हैं। कई प्रोन्नति पाकर एडीओ बन गए। ऐसे अनगिनत मामले पंचायतीराज एवं जिला लेखा परीक्षा अधिकारी सहकारी समितियां एवं पंचायतें कार्यालय में घूम रहे हैं।

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दबाव बना तो ग्राम पंचायत अधिकारी अनिल कुमार सिंह के खिलाफ लगभग 17.52 लाख रुपये का वसूली अधिपत्र जिला पंचायतराज अधिकारी सत्यप्रकाश सिंह को जारी करना पड़ा। अब प्रत्यावेदन लेकर वसूली पर रोक लगाने की कवायद है। ताजा मामला आरटीआई कार्यकर्ता रामकिशोर वर्मा ने उठाया। सोहावल ब्लॉक की ग्राम पंचायत मुस्ताफाबाद की ऑडिट आपत्ति आरटीआइ के तहत जिला पंचायतराज अधिकारी की तरफ से उपलब्ध कराया गया है।

वित्तीय वर्ष 2013-14 में 20.66 लाख रुपये का है। ग्राम पंचायत अधिकारी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, ग्राम विकास अधिकारी अनिल कुमार दुबे, ग्राम विकास अधिकारी सुरेश सिंह एवं तत्कालीन ग्राम प्रधान लीलावती पर अंगुली उठाई गई है। अब तक शासकीय धन की रिकवरी नहीं हुई है। यह स्थिति तब है कि जब दो महीने पहले उप मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी राजेश कुमार पांडेय आपत्तियां निस्तारित कराने के लिए सीडीओ अभिषेक आनंद के साथ जिला विकास अधिकारी, जिला पंचायतराज अधिकारी एवं सभी बीडीओ की बैठक विकास भवन में कर चुके हैं। प्रोन्नति पाकर कई पंचायत सचिव एडीओ बन गए। एक एडीओ पंचायत तो अगले महीने जनवरी में सेवानिवृत्त हो जाएंगे।

मसौधा ब्लॉक के फिरोजपुर ग्राम पंचायत के मामले में फिर लपेटे में आ गए हैं। जिला पंचायतराज अधिकारी सत्यप्रकाश सिंह का कहना है कि लंबित ऑडिट आपत्तियों को निस्तारित करने के लिए पंचायत सचिवों को नोटिस दी गई है। निस्तारण न करने वालों से शासकीय धनराशि वसूली का अधिपत्र जारी किया जा रहा है। कार्रवाई का शिकंजा कसने के बाद सेवानिवृत्त पंचायत सचिव तुलसीराम निषाद आपत्तियां निस्तारित कराने के लिए विकास भवन से लेकर जिला लेखा परीक्षा अधिकारी सहकारी समितियां एवं पंचायतें कार्यालय में घूमते मिलेंगे। सेवानिवृत्त कर्मचारी के अनुसार लंबित आपत्ति वित्तीय वर्ष 2016-17 की है। निस्तारित कराने के लिए अब बिल-बाउचर जुटाने में लगे हैं।


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